पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस तथ्य के मद्देनजर यह आदेश दिया था कि मामला शीर्ष अदालत में विचारार्थ लंबित है। इसके बाद, चूंकि शीर्ष अदालत ने इस मामले में पिछले साल 26 सितंबर को फैसला सुना दिया और आय कर कानून की धारा 139एए को बरकरार रखा है, इसलिए पैन नंबर को आधार से जोड़ना अनिवार्य है।
पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 26 सितंबर, 2018 को अपने फैसले में केन्द्र की आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध करार देते हुए कहा था कि आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन नंबर के आबंटन के लिए आधार अनिवार्य होगा परंतु बैंक खातों के लिए आधार आवश्यक नहीं है। इसी तरह मोबाइल कनेक्शन के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाता भी आधार नहीं मांग सकते हैं। (भाषा)