पाठक ने कहा कि पूरे घटनाक्रम में लगातार ढाई साल से धरना और कब्जे की स्थिति रही। उन लोगों (अतिक्रमणकारियों) को किसका राजनीतिक संरक्षण था, इसका पता लगाया जाना चाहिए। जिन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध रही है, उनके बारे में भी स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि इस सरकार में जिन पर रक्षा की जिम्मेदारी थी, उनके इकबाल को ध्वस्त किया गया है। प्रतापगढ़ से लेकर मथुरा तक की घटनाओं में देख लें तो कहीं न कहीं पुलिस पिटती रही। रिकॉर्ड में है कि उत्तरप्रदेश की पुलिस सैकड़ों बार पिटी है।