रविवार, 18 सिंतबर की सुबह को जब हमने सुना तो हमारा खून खौल गया..... इससे पहले भी हम पर कई बार हमले किए गए हैं लेकिन हर बार हमने उन्हें चेतावनी दी और भारी भरकम शब्दों से लदे बयानों का इस्तेमाल किया। हमने उनकी निंदा की लेकिन किया कुछ नहीं। हमने यह सोचकर एक नई सरकार को अपना वोट दिया, इसलिए कि इसकी कथनी और करनी में अंतर नहीं करेगी लेकिन हम पर फिर एक बार हमला हुआ है....बार बार हमले हुए हैं...गुरदासपुर, उधमपुर, पठानकोट, हेरात, मजार-ए-शरीफ, जलालाबाद, पंपोर, पुंछ और अब उड़ी पर। यह किसकी गलती है?