नई दिल्ली। सेना ने सोशल मीडिया पर 150 प्रोफाइलों को लेकर अपने अधिकारियों को सतर्क किया है। सूत्रों ने कहा कि इनका इस्तेमाल विरोधियों द्वारा संवेदनशील सूचनाएं निकलवाने के उद्देश्य से मोहपाश (हनीट्रैप) के लिए किया जा रहा है।
सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि सैन्यकर्मियों को पिछले महीने एक परामर्श भेजा गया है जिससे उन्हें इस 'जाल' के बारे में बताया गया है। सैन्यकर्मियों को यह संदेश निदेशालयों और कमानों के जरिए दिया गया। उन्होंने कहा कि विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर फर्जी प्रोफाइल का इस्तेमाल कर रहे लोग सैन्यकर्मियों, उनके परिवारों और यहां तक कि सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को भी निशाना बना रहे हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि हाल के समय में सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तानी खुफिया इकाई से जुड़े लोगों द्वारा हमलों में तेजी आई है। इसी के अनुरूप सेना परामर्श जारी करने और क्या करें, क्या नहीं जैसे कदम उठा रही है। इन 150 प्रोफाइलों की पहचान करना भी इन कदमों में से एक है।
अधिकारी ने कहा कि प्रोफाइल आमतौर पर 2 से 3 साल पुराने होते हैं इसलिए संदेह नहीं पैदा करते और प्रामाणिक प्रतीत होते हैं। इसके बाद वे निशाना बनाना शुरू करते हैं। अधिकारी ने कहा कि संचार माध्यमों में जैसे-जैसे विविधता आती है, वैसे-वैसे ही अपने कर्मियों को इनके जाल में नहीं फंसने देना भी चुनौतीपूर्ण होता जाता है।
एक अधिकारी ने कहा कि फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल का इस्तेमाल कर लोग सैन्यकर्मियों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं जिससे कि उनसे सूचनाएं निकलवाई जा सकें। इसके लिए वे साथी सैन्य अधिकारी, पुलिसकर्मी या यहां तक कि महिलाएं होने का दिखावा कर रहे हैं।
राजस्थान पुलिस की खुफिया इकाई ने बुधवार को सेना के एक जवान को गिरफ्तार किया, जो पाकिस्तान के आईएसआई के एजेंट के जाल में फंस गया था और कथित तौर पर गोपनीय व रणनीतिक जानकारी साझा कर रहा था। उन्होंने कहा कि उसे फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए निशाना बनाया गया था।
इससे पूर्व इसी साल भारतीय सेना के एक जवान को सोशल मीडिया के जरिए मोहपाश में फंसाया गया था। पिछले साल भारतीय वायुसेना के एक ग्रुप कैप्टन और ब्रह्मोस एरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ काम कर रहे एक इंजीनियर को सोशल मीडिया के जरिए मोहपाश में फंसाया गया था।