उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में पुजारियों के एक वर्ग ने मंदिरों में स्थानीय श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दिए जाने के चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के निर्णय का विरोध करते हुए बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस का संक्रमण पूर्ण रूप से समाप्त होने तक किसी श्रद्धालु को धाम में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।
यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव मनमोहन उनियाल ने कहा कि यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित व पंडा समाज देवस्थानम बोर्ड के इस आदेश को नहीं मानेंगे। जब तक उत्तराखंड में कोरोना वायरस का संक्रमण पूर्ण रूप से समाप्त नहीं होता, हम किसी भी श्रद्धालु को धाम में प्रवेश नहीं करने देंगे। दूसरी ओर गंगोत्री मंदिर समिति के तीर्थ पुरोहित भी देवस्थानम बोर्ड के इस आदेश के विरोध में आ गए हैं। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि पण्डा समाज व गंगोत्री मंदिर समिति बोर्ड स्थानीय लोगों को धाम में प्रवेश की अनुमति देने के आदेश का घोर विरोध करती है।
उन्होंने कहा कि वैसे भी गंगोत्री मंदिर समिति ने देवस्थानम बोर्ड के विरुद्ध उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है और इसलिए बोर्ड को इस प्रकार का कोई भी आदेश जारी करने का कानूनी अधिकार नही है।
देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन द्वारा मंगलवार को जारी आदेश में स्थानीय श्रद्धालुओं को अपने-अपने जिलों में स्थित चार धामों के मंदिरों में सीमित संख्या में दर्शन की अनुमति दी गई है।
आदेश में कहा गया है कि आगामी 30 जून तक गंगोत्री में प्रतिदिन 600 और यमुनोत्री मे 400 स्थानीय श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे जबकि जिलों के बाहर के श्रद्धालुओं के लिए धामों में प्रवेश वर्जित रहेगा। आदेश में बदरीनाथ धाम के लिए यह संख्या 1200 श्रद्धालु प्रतिदिन और केदारनाथ के लिए 800 श्रद्धालु प्रतिदिन निर्धारित की गई है।
उधर देवस्थानम बोर्ड के आदेश पर ज़िला प्रशासन यात्रा की तैयारियों के काम में जुट गया है। भटवाडी के उपजिलाधिकारी डीएस नेगी ने बताया कि यदि कोई भी स्थानीय व्यक्ति गंगोत्री यात्रा पर जाना चाहता है तो तत्काल पास जारी किया जाएगा। हालांकि अभी तक किसी ने पास के लिए आवेदन नहीं किया है। (भाषा)