इसी बीच मंगलवार रात्रि में ऑगर ड्रिलिंग मशीन अपना काम कर रही थी, लगभग 2 मीटर तक जमीन खोदने के बाद अचानक से उसमें खराबी आ गई, जिसके चलते मजदूरों को बाहर निकालने के काम में ब्रेक लग गया। मशीन में खराबी के साथ ही पाइप डालने वाला प्लेटफॉर्म टूट गया, अब नये सिरे से पाइप डालने का काम शुरू किया जा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक स्टील के एक मीटर पाइप डालने में एक घंटे का समय लगता है, यदि मजदूरों तक पहुंचने की दूरी 50 मीटर है तो, इस तरह 50 घंटे मजदूर टनल में और रहेंगे। यदि भूस्खलन कम रहा तो यह समय सीमा घट सकती है। हालांकि कहा जा रहा था की बुधवार को टनल से मजदूर बाहर आ जायेंगे, लेकिन कार्य में आ रही रूकावट को देखकर यह संभावना क्षीण होती नजर आ रही है।
वहीं टनल में कैद 40 मजदूरों में से कुछ की तबीयत खराब होने की सूचना भी मिली है, इन मजदूरों को उल्टी, चक्कर आने जैसी समस्या हो रही है, रेस्क्यू आपरेशन में लगे प्रशासनिक अधिकारियों और डाक्टर पैनल द्वारा पाइप के जरिए दवाएं भेजी गई है।