उजमा ने कहा- पाकिस्तान 'मौत का कुआं', भारतीय नागरिक होना गर्व की बात
पाकिस्तान में बंदूक का भय दिखाकर कथित तौर पर विवाह करने को मजबूर की गई भारतीय नागरिक उजमा अहमद ने पाकिस्तान को 'मौत का कुआं' करार दिया और अपनी सकुशल वापसी के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एवं भारतीय मिशन के अधिकारियों का आभार व्यक्त किया।
उजमा ने कहा कि भारतीय नागरिक होना अपने आप में गर्व की बात है और भारत में जितनी स्वतंत्रता है, वैसी कहीं और नहीं है। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलना चाहती हैं और वह सरकार के प्रयासों के लिए स्वयं उन्हें धन्यवाद देना चाहती है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान में भारतीय उप उच्चायुक्त जेपी सिंह एवं अन्य अधिकारियों के साथ बैठी और बेहद भावुक दिख रही उजमा ने कहा कि पाकिस्तान जाना आसान है लेकिन वहां से वापस आना बेहद कठिन है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 'मौत का कुआं' है और वहां से कोई निकल नहीं सकता। मैंने वहां महिलाओं को शादी के बाद आते देखा। उनकी स्थिति दयनीय है और वे त्रासद जिंदगी जीने को मजबूर हैं। बेहद खराब हालात हैं। वहां पर हर घर में 2, 3, 4 पत्नियां रखते हैं। उजमा ने कहा कि बुनेर एक ऐसा क्षेत्र है, जहां तालिबान का नियंत्रण रहा था और यहां पर बेहद खराब हालात हैं।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी नागरिक ताहिर, उजमा को नींद की गोलियां देकर इस इलाके में ले आया था। उजमा ने कहा कि जो वहां के हालात हैं, अगर मैं 2-3 दिन और रुक जाती तो शायद मैं जिंदा नहीं बच पाती। पाकिस्तान में अपने अनुभव बताते हुए उजमा कई बार बेहद भावुक हो उठी और उनकी आंखें नम हो गईं।
उजमा ने बार-बार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों का आभार जताया। उजमा नई दिल्ली की रहने वाली है। ऐसा माना जाता है कि वह ताहिर अली से मलेशिया में मिली थी और उसे उससे प्रेम हो गया।
उजमा ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट को बताया कि वह पाकिस्तान यात्रा पर पहुंची तो अली ने 3 मई को उसे शादी के लिए मजबूर किया। उसने 12 मई को अदालत में याचिका दायर की और आग्रह किया कि उसे तत्काल भारत लौटने दिया जाए, क्योंकि उसे पहली शादी से भारत में एक बेटी है और वह थलेसीमिया से पीड़ित है। उसने कहा था कि अली ने उसके आव्रजन दस्तावेज ले लिए हैं।
अदालत ने अली को निर्देश दिया कि वह उसके आव्रजन दस्तावेज वापस करे। अली ने दस्तावेज लौटा दिए। उजमा ने कहा कि मैं खुशनसीब हूं कि एक ऐसे स्थान से सकुशल लौट आई, जहां तालिबानी स्थिति है। वहां पर मुझे त्रासद स्थिति, मारपीट और शारीरिक एवं मानसिक यातना का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि सुषमाजी और भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने मेरी काफी मदद की। बिना इनकी मदद के मेरा बचना और लौटना संभव नहीं था। उजमा ने कहा कि आज मुझे पहली बार महसूस हुआ कि मेरी जिंदगी भी इतनी मूल्यवान है। मैं यह कहना चाहती हूं कि भारतीय नागरिक होना अपने आप में बड़ी बात है। भारत में जितनी स्वतंत्रता है, वैसा कहीं भी नहीं है। पाकिस्तान जाना आसान है लेकिन लौटना मुश्किल है। (एजेंसी)