इंदौर। शहर में शुक्रवार को मूल्य आधारित पत्रकारिता और मीडिया में पत्रकारिता के गिरते मूल्यों पर चिंतन और मंथन हुआ। इस दौरान चर्चा में यह बात भी सामने आई कि टीवी पर शोर बहुत होता है, लेकिन जब जिम्मेदारी की बात आई तो कहा गया कि इसके लिए मीडिया के साथ ही पाठक और दर्शक भी जिम्मेदार हैं। यदि वह खराब चीजों को देखना और पढ़ना बंद कर देगा तो मीडिया संस्थान खुद-ब-खुद अच्छी सूचनाएं देने के लिए बाध्य होंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और टीवी चैनल आईबीएन-7 के संपादक सुमित अवस्थी ने मीडिया में मूल्यों के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि वर्तमान मूल्य का अर्थ वेल्यू नहीं प्राइज हो गया है। हमें उस कीमत से ही बचना है। हमें मूल्यों के साथ उसूलों के साथ कोई समझौता नहीं करना है। यदि पूरा समाज कोशिश करेगा तो बदलाव जरूर आएगा। उन्होंने इस बात पर भी संतोष जताया कि वह मीडिया की ही भूमिका थी कि जेसिका लाल केस की फिर से सुनवाई हुई और हत्यारे को सजा मिली।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति मानसिंह परमार ने कहा कि मूल्यों के बिना कोई भी व्यक्ति सामाजिक प्राणी नहीं बन सकता। आजादी के समय मीडिया का उद्देश्य देश की स्वतंत्रता था, लेकिन आज चीजों में काफी बदलाव आया है। मीडिया के दायित्व साथ समाज के दूसरे वर्ग का भी उतना ही दायित्व है। उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया में आज भी गंभीरता है, लेकिन टीवी मीडिया को और गंभीर होने की जरूरत है।
वेबदुनिया के संपादक जयदीप कर्णिक ने कहा कि सूचना को बहुत लोगों तक पहुंचाना ही मास मीडिया नहीं है। सूचना तो पेंपलेट और इश्तेहार के जरिए भी पहुंचाई जा सकती है, मगर पेंपलेट और अखबार में फर्क होता है। किसी भी सूचना के साथ जब जिम्मेदारी जुड़ी होती तब ही वह मीडिया होता है। जिम्मेदारी के बिना तो आप वाट्सएप और फेसबुक हो जाते हैं।
इस अवसर ब्र.कु. मंजू दीदी, ब्र.कु. आभा दीदी, ब्र.कु. कमला दीदी, ब्र.कु. हेमलता दीदी, वरिष्ठ पत्रकार कमल दीक्षित, आनंद पांडे, प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविन्द तिवारी, मधुकर द्विवेदी, प्रियंका कौशल मंच पर मौजूद थे। कार्यक्रम में मीडियाकर्मियों समेत कई अन्य लोग भी मौजूद थे।