जीएसटी को उन्होंने ‘वक्त की’ जरूरत बताया। नायडू ने कहा कि जीएसटी विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में ही पारित किया जाना चाहिए। मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि वे राजनीतिक नफे-नुकसान की सोच से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में सोचें। अन्य राजनीतिक मुद्दे हैं जिन पर हम लड़ सकते हैं लेकिन जीएसटी का मामला पिछले 7 वर्षों से लंबित है।
एकल बाजार सृजित करने के लिए वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले एक दर्जन से अधिक कर समाहित हो जाएंगे। जीएसटी पहली अप्रैल 2016 से लागू किया जाएगा, लेकिन 26 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अगर संसद इस संविधान संशोधन विधेयक को पारित नहीं करता तो अप्रैल से इसे लागू करना शायद संभव न हो सके। (भाषा)