उपराष्ट्रपति ने शुक्रवार रात यहां एक कार्यक्रम में कहा कि हिन्दी को भी प्रोत्साहित करना जरूरी है, क्योंकि हिन्दी के बगैर राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत करना संभव नहीं है। अंग्रेजी प्रेम को गुलाम मानसिकता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के प्रभाव के कारण लोग अंग्रेजी बोलने में शान समझते हैं।
आंध्रप्रदेश से ताल्लुक रखने वाले नायडू ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा कि उन्होंने दक्षिण भारत में हुए हिन्दी विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया था, लेकिन बाद में राष्ट्रीय राजनीति में आने पर उन्हें हिन्दी का महत्व समझ में आया। (वार्ता)