माल्या ने ट्विटर पर कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एकबारगी निपटान के लिए नीतियां हैं। सैकड़ों कर्जदारों ने अपने ऋण का निपटान किया है। आखिर हमें इसकी सुविधा से इंकार क्यों किया जाना चाहिए? हमने उच्चतम न्यायालय के समक्ष जो पेशकश की थी, उसे बैंकों ने बिना विचारे खारिज कर दिया। मैं निष्पक्ष आधार पर मामले के निपटान के लिए बातचीत को तैयार हूं।