आसान नहीं होगा विजय माल्या को भारत लाना

मंगलवार, 18 अप्रैल 2017 (18:54 IST)
भारत के भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की गिरफ्तारी की खबर जितनी तेजी से भारतीय मीडिया में सुर्खियां बनीं, उतनी ही तेजी से माल्या को जमानत मिलने के बाद ठंडी पड़ गईं। उल्लेखनीय है कि भारतीय स्टेट बैंक सहित 17 बैंकों का 9000 करोड़ रुपए नहीं चुकाने के मामले में माल्या भारत से फरार है। 
 
माल्या की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक खेमे में भी खासा उत्साह दिखाई दे रहा है। भाजपा सरकार इस गिरफ्तारी को अपनी सफलता मान रही है तो मुख्‍य विपक्षी दल भी बहती गंगा में हाथ धो लेना चाहता है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बैंकों के हजारों करोड़ रुपए लेकर भागे माल्या को स्वदेश लाने के लिए कांग्रेस लगातार सरकार पर दबाव बना रही है। इसी दबाव में सरकार ने इस वर्ष फरवरी में माल्या के प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश सरकार से अनुरोध किया था।
 
सरकार की तरफ से केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री संतोष गंगवार ने कहा है कि विजय माल्या को वापस लाया जाएगा। भारतीय जांच एजेंसियों के अनुरोध पर स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने माल्या को लंदन में गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या माल्या को भारत लाना वाकई इतना आसान है? जाने-माने वकील उज्जवल निकम और कानून के अन्य जानकारों का मानना है कि भले ही ब्रिटेन के साथ हमारी प्रत्यर्पण संधि है, लेकिन जब तक वहां की अदालत विजय माल्या के प्रत्यर्पण की अनुमति नहीं देगी, तब तक उसे भारत नहीं लाया जा सकता। निकम का कहना है कि इस मामले में ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। 
 
इस बात में दम भी है क्योंकि बॉलीवुड के संगीतकारों की मशहूर जोड़ी नदीम-श्रवण के नदीम भी भारत से भाग गया था। नदीम गुलशन कुमार की हत्या के मामले में वांछित है। लाख कोशिशों के बाद भी नदीम को भारत नहीं लाया जा सका। नदीम का कहना था कि वह अल्पसंख्‍यक समुदाय से आता है, अत: भारत में उसके साथ न्याय नहीं होगा।
 
विजय माल्या ने भी जमानत के बाद ट्‍वीट कर कहा है कि भारतीय मीडिया ने इस मामले को जरूरत से ज्यादा तूल दिया है। इस पूरे मामले एक बात तो तय है कि लिकर किंग को इतनी आसानी से भारत नहीं लाया जा सकेगा। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि मोदी सरकार की कोशिशें इस दिशा में रंग लाती भी हैं या नहीं।

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