अयोध्या में ठिठुर रहे हैं राम

संजीव श्रीवास्तव

शनिवार, 23 दिसंबर 2017 (18:37 IST)
अयोध्या। विश्व हिन्दू परिषद ने यह कहकर विवाद पैदा कर दिया है कि अयोध्या में राम लला टेंट में हैं और उन्हें सर्दी लग रही है। इसके लिए प्रशासन को ठंड से बचने की पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए। इस मुद्दे पर संत-महंतों के भी मिलेजुले बयान सामने आए हैं। 
 
रामजन्म भूमि के मुख्य पुजारी महंत सतेंद्र दास ने विहिप पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 25 वर्ष इन्हें याद आई है कि राम लला को सर्दी लग रही है, अभी तक कहां थे? मंडल आयुक्त हमारे रिसीवर हैं, उनका व कोर्ट का जो भी निर्देश होगा उसका हम पालन करेंगे। विहिप की नींद यदि अब खुली है तो इसकी व्यवस्था वे कोर्ट से कराएं। हम अपने मन से हम कुछ नहीं कर सकते हैं। 
 
दूसरी ओर राम जन्म भूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने भी कहा कि श्रीराम हमारे ईष्ट देव हैं उनकी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन, उन्होंने महंत सतेन्द्र दास के इस बयान से सहमति जताई कि यह सब कोर्ट की अनुमति लेकर होना चाहिए। 
 
इस मामले के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए जो भी कुछ हो वह सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से होना चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि यदि हिन्दू उन्हें ऊनी वस्त्र आदि पहनाना चाहते हैं उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। अभिभाषक आरएन लाल ने कहा कि इस मामले में कुछ भी बदलाव किया जाए तो कोर्ट की अनुमति लेना जरूरी है। 
 
क्या कहा विहिप ने : विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने राम जन्मभूमि के महंत व रिसीवर मंडलायुक्त से मांग कि है कि टेंट के नीचे विराजमान राम लला के लिए ठंड से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। शर्मा ने नाराजगी व्यक्त करते हुए मंडलायुक्त को ज्ञापन देते हुए मांग की कि श्रीराम लला के लिए सर्दी से बचाव के लिए गर्म वस्त्र, रजाई-गद्दा एवं हीटर व अंगीठी की व्यवस्था की जाए।
 
उन्होंने कहा कि परिसर के अंदर विराजमान राम लला कि संपूर्ण व्यवस्था की जिम्मेदारी मुख्य पुजारी व रिसीवर को ही करनी चाहिए। कोर्ट की जो बात की जा रही है, वह यह गलत है क्योंकि जिस प्रकार से भगवान के भोग, आरती व पूजन की व्यवस्था अर्चक व प्रशासन की है, यह उसे ही करना चाहिए। लेकिन, किसी तरह का अभाव है तो विहिप व धर्माचार्य पूरी व्यवस्था करने के लिए तैयार हैं। राम करोड़ो लोगों की आस्था एवं विश्वास के केंद्र हैं। उनके साथ किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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