बवाल से चुनाव आयोग नाराज, जम्मू में 1 साल की रिहाइश वालों का वोटर बनना रुका

सुरेश एस डुग्गर

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022 (12:44 IST)
जम्मू। हालांकि भारी बवाल के बाद जम्मू में 1 साल की रिहाइश वालों का वोटर बनना रुक गया है, पर इसके प्रति सरकारी आदेश जारी नहीं हुआ है। सिर्फ सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है कि चुनाव आयोग ने ऐसा आदेश जारी करने पर जम्मू की उपायुक्त को फटकार लगाई है, क्योंकि कानून में इस प्रकार से वोटर बनाने का कोई नियम या कानून ही अस्तित्व में नहीं है।
 
जम्मू जिले में 1 साल से अधिक समय से रह रहे लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल करने के लिए तहसीलदारों को मौके पर आवास प्रमाणपत्र बनाने का उपायुक्त का आदेश विपक्ष के भारी दबाव के बीच 24 घंटे में ही वापस ले लिया गया। दरअसल, मंगलवार को आदेश जारी किया गया था कि 1 साल से अधिक समय से रह रहे लोगों को संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार मौके पर जाकर सत्यापन करने के बाद आवास प्रमाण पत्र जारी करें।
 
जिला उपायुक्त जम्मू अवनी लवासा ने मंगलवार देर रात गए एक आदेश जारी कर कहा था कि 1 साल पहले रहने वाला देश का कोई भी नागरिक बतौर मतदाता अपना पंजीकरण करा सकता है। अगर वह बेघर हो या उसके पास निर्धारित दस्तावेज नहीं हों तो भी उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज होगा। इसके लिए तहसीलदार से जम्मू में रहने का प्रमाणपत्र लेना होगा।
 
देर रात को एक न्यूज एजेंसी ने ट्वीट किया कि डीसी जम्मू ने तहसीलदारों को 1 साल से अधिक समय से रह रहे लोगों को आवास प्रमाणपत्र जारी करने के आदेश को वापस ले लिया गया है। उपायुक्त के आदेश पर बुधवार को सुबह से ही विपक्षी दल लामबंद होने लगे। सबसे पहले पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि जनसांख्यिकी में बदलाव की भाजपा साजिश रच रही है। इसके बाद कांग्रेस, नेकां, डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी ने भी विरोध किया। विपक्षी दलों ने आशंका जताई कि यहां बाहरी लोग भारी संख्या में रह रहे हैं।
 
चुनाव कार्यालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग की ओर से ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है कि 1 साल से रह रहे लोगों को आवास प्रमाणपत्र जारी किया जाए। मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए 7 तरह के दस्तावेज बिजली, पानी व गैस कनेक्शन, आधार कार्ड, पासबुक-पोस्ट ऑफिस खाता, पासपोर्ट, किसान बही-राजस्व विभाग का भूमि दस्तावेज, पंजीकृत किरायानामा व पंजीकृत सेल डीड जरूरी हैं।
 
माना जा रहा है कि उपायुक्त के आदेश की रिपोर्ट का चुनाव आयोग ने भी संज्ञान लिया। इसके बाद आदेश को वापस लेने का फैसला किया गया। फिलहाल इसकी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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