कोलकाता। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) लद्दाख में चीन-भारत गतिरोध के बीच चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में विकास गतिविधियों को अंजाम दे रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय बल किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं और देश में भी वैसी ही गतिविधियां अंजाम दी जा रही हैं।
जनरल रावत ने यहां रडार की नजरों में न आने वाले स्वदेशी पोत 'हिमगिरि' के जलावतरण के मौके पर कहा कि लद्दाख में गतिरोध अभी जारी है। चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में कुछ विकास संबंधी गतिविधियां हो रही हैं। हर राष्ट्र अपने रणनीतिक हितों के आधार पर अपनी सुरक्षा को बढ़ाने के लिए तैयारी जारी रखेगा।
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसे लेकर ज्यादा चिंता होनी चाहिए, क्योंकि हम अपनी तरफ भी ऐसी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए भारतीय सशस्त्र सेनाएं कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगी।
सीडीएस ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान उत्तरी सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के चीन के प्रयास के बाद जमीन, समुद्र और वायु में बेहद उच्च स्तर की तैयारी की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि 2017 में डोकलाम गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने कदम उठाए हैं जिससे यह सुनिश्चित हो कि वहां बात और आगे न बढ़े। भारतीय सेनाएं डोकलाम में पीएलए की गतिविधियों पर सावधानीपूर्वक नजर रख रही हैं। दुनिया की 2 शक्तिशाली सेनाएं 2017 में यहां 73 दिनों तक एक-दूसरे के सामने डटी हुई थीं।
लद्दाख गतिरोध के बीच पूर्वी सेक्टर में चीन के किसी संभावित दुस्साहस के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से चिंता बढ़ाने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हमने आवश्यक कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि समय आ गया है, जब भविष्य में लड़े जाने वाले युद्धों को देखते हुए हमारी प्रणाली में तकनीक को आत्मसात किया जाए। पाकिस्तान द्वारा लगातार किए जा रहे संघर्षविराम उल्लंघन के बारे में जनरल रावत ने कहा कि भारत इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और ऐसी गतिविधियों को अंजाम देने को लेकर दूसरे पक्ष को ज्यादा चिंता करनी चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत के पास और पनडुब्बियां होनी चाहिए या उसे एक और विमानवाहक पोत खरीदना चाहिए? रावत ने कहा कि दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं।
नौसेना में वायु इकाई की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि नौसैनिक युद्ध में पनडुब्बियों का अपना स्थान है, समुद्र में प्रभुत्व के लिए और इसी तरह विमान वाहक पोत का भी।
उन्होंने कहा कि देश को समुद्री संचार क्षेत्रों की सुरक्षा मजबूत करने के लिए द्वीपीय क्षेत्रों का उपयोग करना चाहिए। रावत ने कहा कि द्वीपों को नौसैनिक युद्धक विमानों की उड़ान के लिए विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। (भाषा)