इससे पहले वकील अनिंद्य सुंदर दास ने शीर्ष अदालत में एक कैविएट याचिका दायर कर आग्रह किया था कि यदि राज्य या अन्य वादी अपील करते हैं तो उनकी सुनवाई के बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए। अनिंद्य सुंदर दास उन जनहित याचिकाकर्ताओं में से एक थे, जिनकी याचिका पर 19 अगस्त को उच्च न्यायालय का फैसला आया था।