चार देशों के क्वाड समूह के पहले शिखर सम्मेलन में गठबंधन के नेताओं ने शुक्रवार को निर्णय किया कि बृहद टीका पहल के तहत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को कोविड-19 रोधी टीके की आपूर्ति के लिए उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर भारत में भारी निवेश किया जाएगा। इस कदम को टीके आपूर्ति के क्षेत्र में चीन के बढते प्रभाव से मुकाबले के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। क्वाड की एकजुटता को परोक्ष रूप से चीन पर शिकंजा कसने से जोड़कर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है क्वाड, कैसे कम करेगा चीन का वर्चस्व...
क्या है क्वाड : क्वाड यानी क्वाड्रीलैटरल सिक्टोरिटी डायलॉग। यह 4 देशों भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका का बहुपक्षीय समझौता है। इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति की स्थापना और शक्ति का संतुलन है। वर्ष 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो एबी ने क्वाड का प्रस्ताव रखा था, जिसे भारत, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया ने समर्थन दिया। हालांकि 10 साल तक यह संगठन निष्क्रिय ही रहा। वर्ष 2017 में एक बार फिर क्वाड सदस्य मिले और वर्ष 2019 में इनके विदेश मंत्रियों की बैठक हुई।
क्वाड से क्यों परेशान है चीन : चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों में शामिल हैं। पूर्वी चीन सागर में जापान का चीन के साथ समुद्री विवाद है। क्वाड की सक्रियता से चीन की बौखलाहट बढ़ गई है। उसे यह भी डर सता रहा है कि इन ताकतवर देशों के पास आने से समुद्र में उसके अस्तित्व को खतरा हो सकता है।
चारों नेताओं ने दिखाया उत्साह : डिजिटल रूप से आयोजित इस सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा भी शामिल हुए। सभी नेताओं ने भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग करने के लिए उत्साह और इच्छा व्यक्त की।
दरअसल, चीन का परेशान होना इसलिए भी स्वाभाविक है क्योंकि बाइडन ने परोक्ष तौर पर चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम अपनी प्रतिबद्धताओं को जानते हैं। चीन, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों में शामिल हैं। पूर्वी चीन सागर में जापान का चीन के साथ समुद्री विवाद है। उन्होंने कहा कि हमारा क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा संचालित है, हम सभी सार्वभौमिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी दबाव से मुक्त हैं।