नई दिल्ली। जो लोग अपने भोजन में ज्यादातर मांसाहार शामिल करते हैं, उन्हें सुप्रीम कोर्ट की ओर से करारा जवाब मिला है। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा- 'आप कुछ दिनों तक चिकन और मटन नहीं खाएंगे तो क्या हो जाएगा?'
दरअसल एक याचिकाकर्ता चिकन और मटन को आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल करने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि वह ग्रोसरीज के साथ-साथ चिकन एवं मटन की तलाश में अपने घर से निकला था, लेकिन पुलिस ने उसे परेशान किया।
याचिकाकर्ता ने न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की खंडपीठ के समक्ष दलील दी थी कि चिकन और मटन भी जरूरी सामग्री में शामिल किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान ग्रोसरीज की दुकानों की तरह नॉन वेज की दुकानें भी पूरी तरह से खोली जाएं। इस पर शीर्ष अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी, 'कुछ दिनों तक चिकन और मटन नहीं खाएंगे तो क्या हो जाएगा? आप बाहर निकलकर भीड़ क्यों बढ़ाना चाहते हैं?