क्यों एक महिला IAS ने माँ से कहा था; मुझे पेट में रख कर फिर से गोरा बना सकती हो?

WD Feature Desk

गुरुवार, 27 मार्च 2025 (16:35 IST)
Sarada Muraleedharan Speaks Out Against Color Bias: केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में ऐसा क्या लिख दिया जिसकी चर्चा जोरों पर है। शारदा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में अपनी त्वचा के रंग को लेकर अपने बीते जीवन और अनुभव के बारे में खुलकर लिखा। उन्होंने ये पोस्ट तब की जब एक अनजान व्यक्ति ने टिपण्णी करते हुए लिखा कि उनका काम उनकी तरह ही काला मतलब हीन है।

पोस्ट लिख कर हटाई और फिर पोस्ट किया
शारदा ने पहले लिखा “मुझे अपने कालेपन को स्वीकार करना होगा।“ उन्होंने यह पोस्ट लिखकर उसे तुरंत ही हटा दिया। इसके बाद उन्होंने एक लंबा पोस्ट लिखकर साझा किया जिसमें लिखा “मैं प्रतिक्रियाओं की झड़ी से घबरा गई थी लेकिन कुछ शुभचिंतकों ने मुझे फिर से पोस्ट करने के लिए कहा क्योंकि इस तरह की बातों पर चर्चा की जानी चाहिए। मैं उनसे सहमत हूं इसलिए यहां एक बार फिर से हूँ। उन्होंने लिखा कि मुझे लगता है यह मेरे लिए सही समय है जब मैं इस तथ्य के बारे में रक्षात्मक महसूस ना करूं कि मैं एक महिला हूं या मैं काली हूं। अब समय आ गया है जब मैं इस तथ्य को स्वीकार करूं और मजबूती से सामने आउं। मेरे मजबूती के सामने आने से शायद उन लोगों को मदद मिलेगी जो असुरक्षा और अपर्याप्तता की इस तरह की भावनाओं से गुजर रहे हैं। उन्होंने लिखा कि उनके इस कदम से उन लोगों को यह महसूस करने में मदद मिलेगी कि हमें बाहरी मान्यता की आवश्यकता नहीं है।

जब मुख्य सचिव बनने के बाद सुनने को मिला; मेरा काम मेरे रंग के जितना ही काला है
शारदा ने अपने बीते 50 सालों के अलावा मुख्य सचिव बनने के बाद के अनुभव भी साझा किए। केरल का मुख्य सचिव बने हुए उन्हें 7 महीने हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान हाल ही में उन्हें एक टिप्पणी सुनने को मिली जिसमें कहा गया कि मेरा काम इतना ही काला है जितने मेरे पति गोरे हैं। शारदा ने कहा यह तुलना की बात नहीं थी। यह दुख की बात है कि काले रंग को लेकर इतनी पूर्वाग्रह हैं। काले रंग को नकारात्मकता से जोड़कर देखा जाना भी दुखद है। मुझे काला कहकर इस तरह संबोधित किया गया जैसे यह कोई शर्म की बात हो। उन्होंने सवाल उठाया की काला रंग बुराई, निराशा और अत्याचार का प्रतीक ही क्यों माना जाता है? क्या इसे इस रंग से जुड़ा पूर्वाग्रह नहीं माना जाना चाहिए जिसे हमने पाल रखा है? उन्होंने अपनी ही पोस्ट को एक बार फिर शेयर करते हुए लिखा कि इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि क्यों एक महिला के लिए काला रंग शर्म की बात समझा जाता है।

पति के साथ की गई तुलना
शारदा पिछले साल सितंबर में केरल राज्य की मुख्य सचिव बनीं। उनके पदभार संभालने से पहले उनके पति वी वेणु इस पद पर थे और 31 अगस्त 2024 को वह रिटायर हुए। जैसे ही उन्होंने केरल राज्य की मुख्य सचिव के रूप में कार्यभार संभाला सोशल मीडिया पर उनके रंग को लेकर तमाम टिप्पणियां की गई जिन्हें शारदा ने नजरअंदाज कर दिया। लेकिन हाल के दिनों में एक अननोन यूज़र ने शारदा के कार्यकाल को लेकर एक अजीब टिप्पणी की जिसमें उसने कहा कि मैं उतनी ही काली हूं जितना कि मेरे पति का रंग गोरा था। इस टिप्पणी का आशय था कि उनका प्रशासन काला है और इसलिए कमतर है। इसके बाद शारदा खुद को नहीं रोक पाईं।

बचपन में मां से कही थी ये बात
अपनी पोस्ट में शारदा ने यह भी लिखा कि जब वे छोटी थीं तो अपने रंग को लेकर हीन महसूस करती थीं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने 4 साल की उम्र में अपनी मां से पूछा था, 
"क्या तुम मुझे वापस पेट में डालकर गोरी और सुंदर बन सकती हो?"
उन्होंने लिखा कि यही वह समय था जब समाज ने उनके मन में यह बीज बो दिया था कि काला रंग हीन और कमतर होता है। अगले 5 दशकों तक वे इसी पूर्वाग्रह से जूझती रहीं  "गोरा रंग ही सुंदरता, अच्छाई और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है।" शारदा ने लिखा कि मैं अपने जीवन की 50 सालों तक इस विचार के नीचे दबी रही कि मेरा रंग अच्छा नहीं है। काले रंग में मैंने कभी खूबसूरती नहीं देखी। मैं त्वचा के गोरे रंग से बेहद आकर्षित थी और अपनी त्वचा के रंग को देखकर खुद को कम पर आंकती रही। 

किस तरह बदली शारदा की सोच
मुख्य सचिव ने अपने पोस्ट में इस बात का विशेष उल्लेख किया कि काले रंग को लेकर उनकी सोच में कैसे बदलाव आया। उन्होंने लिखा कि मेरी सोच को बदलने का श्रेय मेरे बच्चों को जाता है जिन्होंने इस रंग में खूबसूरती को देखा और कालेपन पर गर्व किया। मेरे बच्चों ने उस सुंदरता को देखा जिसे मैं देख सकने में नाकामयाब रही। मेरे बच्चों ने मुझे बताया कि काला रंग शानदार और अद्भुत है। यह ऐसा रंग है जो अपने आप में सब कुछ समेटने की क्षमता रखता है। यह ऊर्जा का सबसे शक्तिशाली स्रोत है। काला रंग ब्रह्मांड का सच है, बारिश के बादलों का वादा है, काजल की चमक है। मेरे बच्चों के विचारों ने मेरी सोच भी बदली। शारदा मुरलीधरन ने कहा कि उनके पति वेणु ने उन्हें तुलना के खिलाफ लिखने के लिए प्रेरित किया और अब उन्हें काले रंग से प्यार हो गया है। उन्होंने आगे लिखा कि रंग के प्रति इन पूर्वाग्रहों को बदलने की शुरुआत होनी चाहिए और यह बदलाव परिवार और स्कूल से शुरू होना चाहिए।

सोचने वाली बात
यह देश गार्गी और अनुसूया जैसी विदुषियों का देश है, जहां स्त्रियों ने अपनी बुद्धि और मेधा के दम पर खुद का लोहा मनवाया है। ये देश  अष्टावक्र जैसे महाज्ञानी का देश है जहां शरीर के ऊपर हमने प्रज्ञा को रखा है। शारदा खुद एक आईएएस अधिकारी हैं। वे कितनी योग्य हैं, इस बात को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है लेकिन यह बात शोचनीय है कि जब एक उच्च पद पर बैठी अधिकारी को अपने रंग को लेकर नीचा दिखाने की कोशिश की जा सकती है तो जब समाज किसी छोटे बच्चे पर उसके रंग, लंबाई और शरीर की बनावट को लेकर तंज कसता है तो उस बच्चे की मानसिकता पर क्या असर पड़ता होगा। निश्चित ही शारदा ने अपने अनुभवों को साझा कर एक बड़ी वैचारिक बहस को आगाज़ दिया है।



 
 

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