मोदी ने कहा कि बेंगलुरु में एक पार्क है - कब्बन पार्क। इस पार्क में यहां के लोगों ने एक नई परंपरा की शुरुआत की है। यहां हफ्ते में एक दिन, हर रविवार को बच्चे, युवा और बुजुर्ग आपस में संस्कृत में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, यहां वाद-विवाद के कई सत्र भी संस्कृत में ही आयोजित किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल का नाम संस्कृत वीकेंड है। समष्टि गुब्बी जी ने एक वेबसाइट के जरिए इसकी शुरुआत की। कुछ दिन पहले ही शुरू किया गया यह प्रयास बेंगलुरुवासियों के बीच देखते ही देखते काफी लोकप्रिय हो गया है। उन्होंने कहा कि अगर हम सब इस तरह के प्रयास से जुड़ें तो हमें विश्व की इतनी प्राचीन और वैज्ञानिक भाषा से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने जब देशवासियों से इस प्राचीन भाषा को बढ़ावा देने के लिए गुब्बी से सीखने का आग्रह किया तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। गुब्बी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने मेरे प्रयासों की सराहना की तो यह मेरे लिए खुशी का क्षण था। मैं पिछले कई वर्षों से संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए काम कर रही हूं।
यह पूछे पर कि क्या संस्कृत बोलने के लिए व्याकरण का ज्ञान जरूरी है, इस पर गुब्बी ने कहा कि जब हम बच्चे होते हैं तो किसी भाषा का व्याकरण नहीं सीखते। हम बस भाषा सीखते हैं। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta