Election of the 18th Lok Sabha Speaker: 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद के लिए अभी किसी भी नाम पर मुहर नहीं लग पाई है। हालांकि इसकी दौड़ में 2 नाम सबसे ऊपर चल रहे हैं। पहला नाम निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का है, जबकि दूसरा नाम आंध्र प्रदेश से भाजपा की नेता दग्गुबती पुरंदेश्वरी का नाम भी चल रहा है। दरअसल, भाजपा स्पीकर का पद अपने किसी सहयोगी दल को देना नहीं चाहती। लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव 26 जून को हो सकता है।
क्या हैं लोकसभा अध्यक्ष के अधिकार : लोकसभा अध्यक्ष का पद संवैधानिक होता है और वह सदन का सबसे प्रमुख व्यक्ति होता है। सदन में लोकसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। सदन में मर्यादा और व्यवस्था बनाए रखने का जिम्मा स्पीकर का ही होता है। कोई बिल इकोनॉमिक बिल है या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय स्पीकर का ही होता है। इस निर्णय को अदालत में भी चुनौती नहीं दी जा सकती। सदन की मर्यादा का उल्लंघन करने वाले सांसदों को स्पीकर निलंबित भी कर सकते हैं।
आमतौर लोकसभा अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल का ही होता है। लेकिन, अटलजी के कार्यकाल में टीडीपी के जीएमसी बालयोगी एवं शिवसेना के मनोहर जोशी भी स्पीकर के पद पर रह चुके हैं। जब सदन में बहुमत साबित करने की बात आती है या फिर दलबदल कानून लागू होता है तो अध्यक्ष की भूमिका काफी अहम हो जाती है। सांसदों के पाला बदलने की स्थिति में उनकी अयोग्यता पर फैसला लेने का अधिकार अध्यक्ष को ही होता है। यदि अध्यक्ष सरकार समर्थक नहीं होगा तो सत्तारूढ़ दल को नुकसान हो सकता है।