बिहार और आंध्र को क्यों नहीं मिल सकता विशेष राज्य का दर्जा?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

गुरुवार, 13 जून 2024 (15:17 IST)
special status : लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी NDA की मदद से देश में तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रहे। 240 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद भी भाजपा बहुमत हासिल नहीं कर सकी। टीडीपी की 16 और जदयू की 12 सीटों के सहारे प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार बना ली। मंत्रिमंडल में शामिल सभी 72 मंत्रियों के बीच विभागों का भी बंटवारा हो गया। अब बिहार और आंध्र प्रदेश विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हैं। हालांकि मोदी सरकार चाह कर भी उनकी यह मांग पूरी नहीं कर सकती। ALSO READ: मोदी है तो महंगाई है, कांग्रेस ने लगाया PM पर आरोप
 
नई सरकार के गठन के बाद से ही कांग्रेस भी सवाल कर रही है कि 30 अप्रैल 2014 को पवित्र नगरी तिरुपति में आपने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का वादा किया था। क्या नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देगी?
 
क्या है बिहार की मांग : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग वर्ष 2010 से ही हो रही है। इस मांग पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितंबर, 2013 में प्रकाशित हुई थी। उस समय भी तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया।
 
नवंबर 2023 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल ने बिहार को 'विशेष राज्य' का दर्जा देने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था। प्रस्ताव में केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार इसे शीघ्र ही विशेष राज्य का दर्जा दे। ALSO READ: रियासी आतंकी हमले पर क्यों चुप हैं पीएम मोदी?
 
क्या है आंध्र की मांग : आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर ही TDP मार्च 2018 में राजग सरकार से अलग हो गया था। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने केन्द्र से राज्य को विशेष दर्जा देने और 2014 में इसके विभाजन से पहले किए सभी वादों को पूरा करने की मांग को लेकर फरवरी 2019 में अनशन किया था।
 
क्यों नहीं मिल सकता विशेष राज्य का दर्जा : मौजूदा प्रावधानों के हिसाब से राज्यों के लिए विशेष राज्य का दर्जा मौजूद ही नहीं है। अगस्त 2014 में 13वें योजना आयोग को खत्म कर दिया गया। 14वें वित्त आयोग ने विशेष और सामान्य श्रेणी के राज्यों के बीच कोई फर्क नहीं किया है। सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। इसी के साथ अप्रैल 2015 से केंद्र से राज्यों को कर हस्तांतरण भी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया।
 
इसमें एक और प्रावधान जोड़ा। इसके अनुसार अगर कोई राज्य संसाधनों में कमी की सामना कर रहा है तो उसे राजस्व घाटा अनुदान दिया जाएगा।
 
इन राज्यों को मिल चुका है विशेष राज्य का दर्जा : पुराने प्रावधान के तहत असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिल चुका है। हालांकि इन्हें 2015 से पहले यह दर्जा दिया गया था।
 
ये राज्य भी चाहते हैं विशेष राज्य का दर्जा : आंध्र प्रदेश और बिहार के साथ ही राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओडिशा भी विशेष राज्य का दर्जा चाहते हैं।  विशेष श्रेणी के राज्यों को केंद्र सरकार की सभी योजनाओं के लिए केंद्र की ओर से 90 प्रतिशत वित्तीय मदद मिलती थी। इनमें राज्यों का योगदान केवल 10 प्रतिशत तक होता था।
 
बहरहाल अगर गठबंधन सरकार इन दोनों राज्यों को लेकर फिर से विचार करना चाहती है तो उसे प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त आयोग या नीति आयोग को भेजना होगा। 
Edited by : Nrapendra Gupta 
 

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