राजी फिल्म से क्यों नाखुश हैं ‘कॉलिंग सहमत’ के लेखक हरिंदर सिक्का, हलाल सर्टिफाइड फूड पर क्या कहा?
मंगलवार, 12 सितम्बर 2023 (17:23 IST)
जासूसी करने के लिए दूसरे देश भेजे जाने वाले हीरोज पर कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी। फिल्म का नाम राजी था। यह फिल्म लेखक हरिंदर सिक्का की लिखी किताब कॉलिंग सहमत पर आधारित थी। फिल्म में विक्की कौशल और आलिया भट्ट ने काम किया था।
“Makers of Raazi movie gave a leftist spin to my novel Calling Sehmat. My novel had patriotic references to Indian flag and National anthem but they showed Pakistan positively instead”
हाल ही में लेखक हरिंदर सिक्का निर्माता और निर्देशकों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इस फिल्म ने उनकी कहानी के साथ न्याय नहीं किया है। उनका कहना है कि अगर फिल्म उनकी कहानी के मुताबिक बनाई जाती तो उसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिलता। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने ये बात कही। उनका ये वीडियो अब वायरल हो रहा है।
ऐसे लिखी राजी : उन्होंने कहा कि 1993 में सेना से रिटायर्ड हो गए थे, लेकिन 1999 में जब कारगिल जंग हुई तो मैं बतौर जर्नलिस्ट वहां गया था। वहीं से राजी लिखने की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि कहानी में इसकी किरदार सहमत हमारे तिरंगे को सलाम किया था। लेकिन राजी में पाकिस्तान के ध्वज दिखाए गए, कहीं तिरंगा नहीं दिखाया गया। राजी में कोई जन गण मन सुनाया गया। ये लेफ्टिस्ट एप्रोच की वजह से किया गया। मैं इससे बहुत आहत हूं। आज हम अपने सैनिकों की वजह से सुरक्षित हैं। वो हमारे लिए वहां जंग लड़ रहे हैं, इसलिए हमें भी अपने लिए यहां जंग लड़ना होगी। आज सारे होटलों और रेस्तरांओं में हलाल सर्टिफाइड फूड मिल रहा है। दूध और घी हलाल कैसे हो गया। सारे होटल हमे हलाल सर्टिफाइड फूड खिला रहे हैं और इसका टैक्स जमात ए उलेमा जैसों को जा रहा है जिसने कसाब को बिरयानी खिलाई थी।
तिरंगा सीन से नाखुश हैं सिक्का : उन्होंने बताया कि वे फिल्म में दिखाए गए 'तिरंगा सीन' में हुई चूक से नाखुश हैं, जो कि 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध की सच्ची घटना पर आधारित है। यह कहानी एक जवान कश्मीरी लड़की सहमत के आसपास घूमती है, जो अपने देश के लिए एक पाकिस्तानी अफसर से शादी करके एक जासूस का किरदार निभाती है। सिक्का ने कहा कि किताब की कहानी के अंत में सहमत तिरंगे को सलाम करती है। मैंने निर्देशक से कहा था कि आप अगर इस सीन को काटोगे तो यह फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार पाने से वंचित रह जाएगी। हालांकि, यह फिल्म निर्माताओं की मर्जी से हुआ था, लेकिन मैं अभी भी इससे नाराज हूं।
किताब के बारे में बात करते हुए हरिंदर ने बताया कि इस कहानी को लिखने में उन्हें 8 साल लगे। मैं एक ऐसा व्यक्ति हूं जिसने कभी कोई किताब नहीं लिखी। और मेरी पहली किताब 'कॉलिंग सहमत' की लगभग 5 लाख प्रतियां बिकीं। सहमत ने मुझे जीने का तरीका सिखाया। हम बड़ी आसानी से सभी कश्मीरी मुस्लिमों को आतंकवादी कहकर एक ही तराजू में तोल देते हैं।
Edited by navin rangiyal