भाजपा के दो दिग्गजों की दोस्ती, प्यार, सत्ता और तलाक की कहानी
बुधवार, 5 अप्रैल 2023 (15:30 IST)
दोस्ती, प्यार और तलाक। प्रेमकथाओं में इस तरह रिश्तों का टूटना कोई बड़ी और चौंकाने वाली बात नहीं है। लेकिन बात अगर राजनीति से जुड़े दो दिग्गजों की हो तो इस तरह की कहानी खास बन जाती है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के दो दिग्गज पूर्व मंत्री स्वाति सिंह और मंत्री दयाशंकर सिंह की प्यार से लेकर तलाक तक की कहानी अभी सुर्खियां बटौंर रहीं हैं।
वैसे तो मोटेतौर पर दोनों की कहानी का प्लॉट दोस्ती, प्यार और तलाक के इर्द-गिर्द है। लेकिन इनके बीच में सत्ता का भी एक एंगल है। आइए जानते हैं आखिर क्यों भाजपा की स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह का 22 साल पुराना ये रिश्ता टूट गया।
एक ही मकसद ले आया करीब
बात स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह के कॉलेज के दिनों की है। स्वाति सिंह इलाहाबाद से एमबीए कर रही थीं तो वहीं, दयाशंकर लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हुए छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए बड़े नेता के तौर पर उभर रहे थे। दोनों विद्यार्थी परिषद में सक्रिय थे और दोनों की बलिया के रहने वाले थे। एक ही मकसद से काम करने वाली यह सक्रियता उन्हें करीब ले आई। बाद में वे राजनीतिक कारणों से भी करीब होते गए। यह करीबी दोस्ती में बदली और फिर जैसा आमतौर पर होता है दोस्ती गहरी होती गई और एक दिन प्यार के रिश्ते में बदल गई। दोनों के रिश्ते का आलम यह था कि विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता उन्हें भैया-भाभी कहकर बुलाते थे। 18 मई 2001 को दोनों ने शादी कर ली। इस दौरान स्वाति सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी में पंजीकरण कराया और वो वहीं लखनऊ विश्विद्यालय में पढ़ाने भी लगी।
यूं चमकी स्वाति सिंह की राजनीति
2012 के बाद पति-पत्नी के रिश्ते में खटास आने लगी थी, लेकिन 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव का शोर उन्हें कुछ करीब भी लेकर आया था। दरअसल, भाजपा के प्रमुख दावेदारों में से एक दयाशंकर सिंह को टिकट नहीं मिला, लेकिन इस दौरान दयाशंकर सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती पर की एक टिप्पणी की थी, जिसका विवाद इतना बढ़ा कि भाजपा ने दयाशंकर को 6 साल के लिए निकाल दिया था। इसी विवाद में आरोप-प्रत्यारोप करते हुए पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने दयाशंकर की पत्नी पर विवादित बयान दे डाला। इस बयान के बाद मामला इतना बढ़ा कि स्वाति सिंह चर्चा में आ गई। इस विवाद में दयाशंकर अपनी पत्नी के साथ खड़े नजर आए। यह विवाद सड़क पर आ गया और स्वाति सिंह की सियासत कुछ ही दिनों में चमक उठी।
भाजपा में ऐसे बढ़ा स्वाति का कद
विवादों से सुर्खियों में आईं स्वाति सिंह को भाजपा ने महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद स्वाति को भाजपा ने लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतारा। स्वाति इस चुनाव में जीतीं और योगी सरकार में मंत्री बनाई गईं। लेकिन मंत्री बनने के बाद से एक बार फिर दयाशंकर और स्वाति के रिश्तों में पहले से चली आ रही खटास और ज्यादा कड़वी हो गई। इसके बाद दोनों कभी साथ नहीं आ सके।
क्या यह है वजह?
2022 विधानसभा चुनाव में स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन भाजपा आलाकमान ने इस सीट से राजेश्वर सिंह को अपना प्रत्याशी चुना और स्वाति सिंह का टिकट काट दिया। दयाशंकर को बलिया सीट से उम्मीदवार बनाया गया और सरकार में उन्हें स्वतंत्र प्रभार परिवहन मंत्री बनाया गया। इस विवाद के बाद दोनों के निजी विवाद के साथ-साथ राजनीतिक विवाद भी खुलकर सामने आने लगे थे।
ऐसे हुआ रिश्ते का अंत
साल 2012 में दोनों के रिश्तों में उठापटक होने लगी। जिसके बाद स्वाति सिंह ने तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि 2017 में विधायक और फिर मंत्री बनने के बाद उन्होंने पैरवी छोड़ दी थी। लेकिन 2022 में टिकट काटने के बाद उन्होंने फिर से वाद दाखिल किया। पिछले साल 30 सितंबर 2022 को स्वाति सिंह ने फैमिली कोर्ट में वाद दाखिल किया था। इसमें स्वाति सिंह ने कहा था कि वह पिछले 4 सालों से अपने पति से पूरी रह अलग रह रही है और दोनों के बीच कोई वैवाहिक रिश्ता नहीं है। इसलिए उनका तलाक मंजूर किया जाए। इसके बाद प्रतिवादी के अदालत में उपस्थित ना होने पर कोर्ट ने स्वाति के द्वारा पेश किए गए सबूतों से सहमत होकर तलाक का फैसला सुना दिया।
बच्चों के लिए हो रहा मिलना-जुलना
22 साल की शादी के बाद दोनों के एक बेटा और एक बेटी है। पिछले 10 सालों से दयाशंकर और स्वाति सिंह अलग-अलग रहते आ रहे थे। दोनों ही बच्चे अपनी मां स्वाति सिंह के साथ रहते हैं। दयाशंकर अक्सर बच्चों से मिलते जाते रहते हैं। वह अपने बच्चों का पूरा ख्याल रखते हैं और उनका खर्च उठाते हैं। लेकिन साल 2023 में दोनों के तलाक पर मुहर लग गई और दोस्ती, प्यार और शादी से शुरू हुआ यह सफर सत्ता की उठापटक के बीच खत्म हो गया।
Written & Edited: By Navin Rangiyal