झारखंड में कल्पना सोरेन CM बनेंगी या लगेगा राष्ट्रपति शासन?

Political crisis in Jharkhand: बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद अब राजनीतिक पंडितों की निगाहें झारखंड पर आकर टिक गई हैं। झारखंड में राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा फिलहाल किसी को भी समझ नहीं आ रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि ईडी से भाग रहे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्‍यमंत्री बना सकते हैं, जबकि भाजपा इस कोशिश में है कि किसी भी तरह राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाए। भूमि घोटाले और धन शोधन मामले के साथ ही सोरेन पर पद का दुरुपयोग कर खनन का पट्‍टा लेने का भी आरोप है। 
 
हालांकि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार के पास बहुमत का संकट नहीं है क्योंकि 82 सदस्यीय विधानसभा में झामुमो (29) और कांग्रेस (16) के सदस्यों के पास बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या है। बहुमत के लिए 42 विधायक आवश्यक हैं, जबकि इन दोनों दलों के पास ही 45 विधायक हैं और एक मनोनीत विधायक भी सरकार समर्थक है। इसके अलावा रा‍जद, सीपीआई और एनसीपी का भी 11 सदस्य है। ऐसे में सरकार को बहुमत खोने का डर नहीं है। भाजपा राज्य में दूसरा सबसे बड़ा दल (25 विधायक) है। 
 
एक्शन में ईडी : एक तरफ विरोधियों द्वारा झारखंड के सीएम सोरेन को लापता बताया जा रहा है, वहीं सीएम रांची में पार्टी विधायकों की बैठक लेते हुए नजर भी आए हैं। ईडी की टीम जरूरी एक्शन में आ गई है। ईडी की टीम ने सोरेन के दिल्ली निवास से 36 लाख नकद, एक बीएमडब्ल्यू कार और कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं। ईडी सोरेन को अगस्त से अब तक 10 नोटिस जारी कर चुकी है।

ऐसा माना जा रहा है कि सोरेन अपनी राजनीतिक गोटियां जमाने के लिए कुछ समय के लिए भूमिगत हो गए थे, लेकिन वे अपनी पार्टी के नेताओं के संपर्क में थे। बदले राजनीतिक घटनाक्रम में वे अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को राज्य का मुख्‍यमंत्री बना सकते हैं। इससे पहले भी कई बार कल्पना का नाम मुख्‍यमंत्री पद के लिए चल चुका है। यह भी कहा जा रहा है कि सीएम सोरेन रांची में ही हैं।  
 
राष्ट्रपति शासन की आहट : दूसरी ओर, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का कहना है कि मुझे लगता है कि झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का यह सबसे अच्छा अवसर है। उन्होंने कहा- मैं राज्यपाल से संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत रिपोर्ट भेजने का अनुरोध करता हूं। दुबे ने कहा कि हेमंत के भाई और भाभी भी मेरे संपर्क में हैं। वे दुखी हैं, कोई भी हेमंत सोरेन से सहमत नहीं है। वे अपनी पत्नी कल्पना को मुख्‍यमंत्री बनाना चाहते हैं। 
क्या कहा राज्यपाल ने : दूसरी ओर, राज्यपाल राधाकृष्ण ने झारखंड की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं हैं, मैं यह कई बार जाहिर कर चुका है। कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने राष्ट्रपति शासन पर सीधे कुछ भी कहने से बचते हुए कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। 
 
सोरेन के पास क्या हैं विकल्प : सोरेन पर ईडी के कसते शिकंजे और गिरफ्तारी की आशंकाओं के बीच सोरेन मुख्‍यमंत्री पद के लिए अपनी पत्नी का नाम आगे बढ़ा सकते हैं। हालांकि वे इस मामले में कई बार इंकार कर चुके हैं। दरअसल, इन अटकलों को तब हवा मिली थी जब राज्य की गांडेय सीट से विधायक सरफराज अहमद ने इस्तीफा दे दिया था। तब कहा गया था कि मुख्‍यमंत्री बनने के बाद कल्पना को इस सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। हालांकि सोरेन ने तब पत्नी कल्पना सोरेन के चुनाव लड़ने के कयासों को खारिज करते हुए इसे भाजपा की ‘दिमागी उपज’ करार दिया था। 
 
क्या कहता है अनुच्छेद-356 : भारत के संविधान का अनुच्छेद-356, केन्द्र सरकार को राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता या संविधान के स्पष्ट उल्लंघन की दशा में राज्य का राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू करने का अधिकार देता है। राष्ट्रपति शासन उस स्थिति में भी लगाया जा सकता है, जब राज्य विधानसभा में किसी भी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं हो। 
 
कौन हैं कल्पना सोरेन : मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज जिले की रहने वाली कल्पना सोरेन का जन्म 1976 में रांची में हुआ था। उन्होंने कल्पना सोरेन ने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई रांची से ही पूरी की है। 7 फरवरी 2006 को उनका हेमंत सोरेन के साथ विवाह हुआ था। कल्पना के परिजन अब भी मयूरभंज में ही रहते हैं। कल्पना वह एक प्ले स्कूल चलाती हैं। निखिल और अंश नामक उनके दो बच्चे हैं।
 
जानकारी के मुताबिक कल्पना 4.87 करोड़ के कमर्शियल भवनों की मालकिन हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में सोरेन ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में 8.51 करोड़ की संपत्ति की घोषणा की थी। तब सोरेन और उनकी पत्नी के अलग-अलग बैंक खातों में 51 लाख 77 हजार रुपए जमा थे।

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