MNREGA: क्या आने वाले समय में बंद हो जाएगी मनरेगा योजना?

केन्द्र सरकार के बजट 2023-24 में मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act 2005) के बजट में कटौती की गई है। इसको लेकर राजनीतिक और मीडिया गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा चल पड़ी है कि क्या सरकार आने वाले समय में मनरेगा को बंद कर सकती है। हालांकि फिलहाल ऐसा कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। क्योंकि सरकार ने सिर्फ इसका बजट घटाया है। 
 
दरअसल, सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश बजट में मनरेगा योजना (MNREGA) के लिए 60 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जबकि 2022-23 में इसके लिए 73,000 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। यह राशि पिछली बार की तुलना में 18 प्रतिशत कम है।
 
इस बात को इससे भी बल मिलता है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक कार्यक्रम मनरेगा में कम आवंटन से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि बजट मांग के आधार पर तय होता है। जहां तक रोजगार का सवाल है तो प्रधानमंत्री आवास योजना से भी लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं, जलजीवन मिशन से भी ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार हासिल होगा। सीतारमण ने इस दौरान यह भी कहा कि यदि चुनाव हैं तो क्या लोगों को घर नहीं दिए जाएंगे। 
 
क्या कहा सुशील मोदी ने : दूसरी ओर, भाजपा सांसद ने मनरेगा में बजट की राशि घटाने को लेकर कहा कि अब लोग गांवों से शहरों की ओर लौट रहे हैं। ऐसे में लोगों को मनरेगा में काम की जरूरत नहीं है। इसलिए मनरेगा के बजट में कटौती की गई है। मीडिया रिपोर्ट्‍स की मानें तो यह बजट में कमी मनरेगा को प्रभावित कर सकती है। 
 
7 साल पहले भी बंद करने की बात आई थी : लगभग 7 साल पहले 2015 में भी मनरेगा के बंद करने की बात सामने आई थी। तब योजना के 10 वर्ष पूरे होने के मौके पर राजस्थान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सचिन पायलट ने आरोप लगाया था कि केन्द्र सरकार गरीब और बेरोजगारों से जुड़ी योजना को बंद करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि यदि इस योजना को बंद करने के प्रयास किए गए तो देश में गदर मच जाएगा। 
 
क्या है मनरेगा योजना : दरअसल, इस योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act 2005) के नाम से लाया गया था, जबकि 2006 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना देना था। बाद में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) कर दिया गया। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में लोगों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी उपलब्ध करवाई गई थी। 
 
इस योजना को 2006 में देश के 625 जिलों में कार्यान्वित किया गया। 1 अप्रैल 2008 से इसे भारत के सभी जिलों में लागू किया गया। इस कानून को दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्वाकांक्षी सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक कार्य कार्यक्रम कहा जाता है। विश्व बैंक की विकास रिपोर्ट 2014 में भी इस योजना की काफी सराहना की गई थी। मनरेगा को मुख्य रूप से ग्राम पंचायतों संचालित किया जाता है। इसके माध्यम से जल संचयन, सूखा राहत आदि कार्य संपन्न किए जाते हैं। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 

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