मुंबई में साल 2008 के आतंकी हमले के प्रमुख आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के लिए भारत में न्यायपालिका उसके जघन्य अपराधों के लिए मृत्युदंड तय कर सकती है। राणा के खिलाफ भारत में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, हत्या और आतंकवाद जैसे गंभीर आरोपों के तहत मुकदमा चलेगा। इसके लिए उसे मौत की सजा दी जा सकती है, क्योंकि प्रत्यर्पण प्रक्रिया के दौरान भारत-अमेरिका, दोनों ने स्पष्ट तौर पर मृत्युदंड की सजा को बाहर नहीं रखा है।
बता दें कि भारत-अमेरिका में अलग-अलग तरह से अपराधियों को मौत की सजा दी जाती है। ऐसे में प्रत्यर्पण संधि के प्रावधान भी इसके आड़े नहीं आते। हालांकि, प्रत्यर्पण प्रक्रिया के दौरान मृत्युदंड नहीं दिए जाने की शर्त रखी जा सकती है, लेकिन राणा के मामले में अमेरिका की तरफ से ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई है। जबकि 2005 में अबू सलेम के प्रत्यर्पण के समय पुर्तगाल को भारत ने मौत की सजा ना देने की गारंटी दी थी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी-एनआईए ने राणा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की जिन धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है, उनमें मौत की सजा का भी प्रावधान है, ऐसे में यकीनन देश की न्यायपालिका उसे मृत्युदंड की सजा सुना सकती हैं। याद रहे कि राणा के खिलाफ आईपीसी की धारा-120बी, 121, 121अ, 302, 468, 471 का मामला दर्ज है। इसके अलावा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम-यूएपीए और आतकंवादी गतिविधियों के खिलाफ धारा 18 और 20 के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
Edited By: Navin Rangiyal