मुंबई हमला: तहव्वुर राणा को कितनी जल्दी सजा हो सकती है

DW

शनिवार, 12 अप्रैल 2025 (08:08 IST)
आमिर अंसारी
26/11 मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को गुरुवार शाम अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर दिया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली के पालम टेक्निकल एयरपोर्ट पर पहुंचते ही उसे हिरासत में लिया। इसके बाद राणा को पटियाला हाउस स्थित एनआईए कोर्ट पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिन की हिरासत में भेज दिया गया।
 
एनआईए अब राणा से 2008 के मुंबई हमलों की साजिश के बारे में विस्तार से पूछताछ करेगी, जिसमें 166 लोग मारे गए थे। एनआईए ने एक बयान जारी कर बताया है कि कोर्ट के आदेश के बाद एजेंसी ने राणा की हिरासत ले ली है। एनआईए की ओर से वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन और विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान ने मामले की पैरवी की। राणा की कानूनी सहायता के लिए दिल्ली लीगल सर्विस की ओर से वकील पीयूष सचदेवा ने दलील दी।
 
एनआईए ने कहा है कि उसने "26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है, जो 2008 की तबाही के पीछे मुख्य साजिशकर्ता को न्याय के कटघरे में लाने के लिए वर्षों के निरंतर और ठोस प्रयासों के बाद हुआ है।"
 
16 साल का इंतजार खत्म
एनआईए ने कहा, "राणा को भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत शुरू की गई कार्रवाई के बाद अमेरिका में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। राणा ने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए सभी कानूनी रास्ते आजमाए लेकिन जब कोई रास्ता नहीं बचा तो प्रत्यर्पण हो गया।
 
पाकिस्तानी-कनाडाई कारोबारी राणा कभी पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के रूप में काम करता था। उसपर आतंकवादियों को महत्वपूर्ण सहायता पहुंचाने का आरोप है। उसे मुंबई हमलों के 11 महीने बाद अक्टूबर 2009 में शिकागो में गिरफ्तार किया गया था।
 
प्रत्यर्पण की खबर से मुंबई हमले के पीड़ितों के परिवारों में उम्मीद जगी है। और वे जल्द से जल्द राणा को फांसी दिए जाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, भारत में राणा को सजा देने की कानूनी प्रक्रिया चलेगी जिसके बाद ही उसे अदालत सजा सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट की वकील शाहरुख आलम कहती हैं, "मामला एनआईए के कोर्ट के पास है, मगर उसमें भी अगर विशेष अदालत शीघ्रता से सुनवाई करे तो जल्द सुनवाई हो सकती है, वरना समय लग सकता है।"
 
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि "एक समर्पित सरकारी वकील और एक ईमानदार जज" के साथ मुकदमे में छह महीने से अधिक समय नहीं लगना चाहिए, क्योंकि भारत के पास पहले से ही उसके खिलाफ सभी सबूत मौजूद हैं।
 
राणा से राज खुलवाएगी जांच एजेंसी
भारत में हिरासत के दौरान एनआईए और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी 26/11 की कड़ियां जोड़ने के लिए उससे पूछताछ करेंगे। हालांकि, उससे पहले एफबीआई ने पूछताछ की है और लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी समूह की सहायता करने और मुंबई हमलों से उसके संबंधों के लिए अमेरिका में मुकदमा चलाया गया है। भारतीय अधिकारी उससे मुंबई हमलों के बारे में ऐसी जानकारी चाहेगी जो उसने अब तक नहीं उगला है।
 
2011 में एनआईए ने राणा, उसके सहयोगी और हमलों के पहले मुंबई में रेकी करने वाले डेविड कोलमैन हेडली और सात अन्य के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में चार्जशीट दाखिल किया था। एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक जून 2006 के आसपास, भारत की अपनी पहली यात्रा से पहले, हेडली शिकागो गया था और राणा के साथ पूरी साजिश पर चर्चा की थी। हेडली ने लश्कर के सौंपे काम को अंजाम देने के लिए राणा की इमिग्रेशन कंपनी का इस्तेमाल करने के लिए उसकी मदद ली थी।
 
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि राणा का प्रत्यर्पण अमेरिका के साथ भारत की आतंकवाद विरोधी कूटनीति की सफलता और भारतीय जांच अधिकारियों की दृढ़ता का प्रमाण है। उन्होंने कहा, "राणा भारत आने से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा था, और अब जब गहराई से पूछताछ होगी तो सारी चीजें बाहर आएंगी। उन्होंने कहा, "हमले की साजिश की जड़ राणा ही है, क्योंकि यह आईएसआई, पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान डीप स्टेट का बहुत बड़ा एसेट है।"
 
एनआईए के वकीलों को जल्द से जल्द राणा के खिलाफ समयबद्ध मुकदमा चलाने की जरूरत होगी। भारत सरकार को कुछ ऐसे सवालों के जवाब चाहिए होंगे कि क्या राणा का पाकिस्तानी सेना के साथ प्रमाणित संबंध अब भी बना हुआ है। विक्रम सिंह कहते हैं, "जांच एजेंसी जरूर उससे पाकिस्तान से संबंधों के बारे में पूछताछ करेगी और उससे यह भी जानने की कोशिश करेगी कि उसने कितनी बार पाकिस्तान की यात्रा की और यात्रा का क्या मकसद था।"
 
राणा को जल्द से जल्द फांसी दिए जाने की मांग पर विक्रम सिंह कहते हैं देश भावनाओं से नहीं चलता है कानून से चलता है। उन्होंने कहा, "निर्भया केस में भी आप देख लीजिए दोषी को फांसी होने में सात साल लगे और उसी तरह से मुंबई हमले के दोषी आमिर अजमल कसाब को भी फांसी होने में समय लगा।"
 
एक और आरोपी का मामला कोर्ट में लटका है
हालांकि, राणा का मुकदमा कितनी तेजी से आगे बढ़ता है, यह देखना अभी बाकी है। भारत ने 26/11 के एक अन्य आरोपी अबु जुंदाल उर्फ ​​जबीउद्दीन अंसारी को 2012 में सऊदी अरब से प्रत्यर्पित किया था। महाराष्ट्र के बीड के रहने वाले अंसारी पर 10 पाकिस्तानी आतंकियों को मदद पहुंचाने का आरोप है। बॉम्बे हाई कोर्ट की लगाई गई रोक के कारण अंसारी का मुकदमा छह सालों से रुका हुआ है।
 
26/11 मामले में अंसारी के खिलाफ अक्टूबर 2012 में सप्लिमेंट्री चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि अंसारी ने आतंकवादियों को भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से संपर्क करने और उन्हें गुमराह करने के लिए प्रशिक्षित किया था। विशेष अदालत के जज जीए सनप ने नवंबर 2015 में उसके खिलाफ आरोप तय किए थे। उसने खुद को निर्दोष बताया था। गवाहों के बयान के साथ मुकदमा शुरू हुआ लेकिन 2018 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।
 
विक्रम सिंह कहते हैं, "अंसारी और राणा को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ करने से कई और अहम राज सामने आ सकते हैं और तथ्य सामने आते हैं तो उसकी बुनियाद पर आगे की जांच की जानी चाहिए।"

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