नई दिल्ली। प्रमुख केंद्रीय श्रमिक संगठनों की बुधवार की देशव्यापी हड़ताल से बैंकिंग, कोयला, सीमेंट, बिजली आपूर्ति, तेल एवं गैस परिवहन, भंडारण और बंदरगाह आदि क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित होने से तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है।
नरेन्द्र मोदी सरकार पर श्रमिक विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए 10 प्रमुख मजदूर संगठन इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीयू, यूटीयूसी और एलपीएफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं। इन श्रमिक संगठनों से संगठित क्षेत्र के लगभग 16 करोड़ श्रमिक जुड़े हैं। हालांकि भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध संगठन भारतीय मजदूर संघ इसमें शामिल नहीं है।
श्रमिक संगठनों की 12 सूत्री मांगों में न्यूनतम मजदूरी देने, ठेका मजदूरी प्रथा समाप्त करने, रोजगार के अवसर सृजित करने, बोनस की सीमा समाप्त करने, महंगाई घटाने और सरकारी कंपनियों में विनिवेश नहीं करने की मांग शामिल है। (वार्ता)