राहत भरी खबर, जून में थोक मुद्रास्फीति घटकर 15.18 फीसदी

गुरुवार, 14 जुलाई 2022 (14:59 IST)
नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की थोक मुद्रास्फीति जून, 2022 में घटकर 15.18 प्रतिशत रह गई, जो मई में 15.88 प्रतिशत थी। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून, 2021 में 12.07 प्रतिशत थी। थोक मुद्रास्फीति पिछले लगभग 15 महीनों से दोहरे अंकों में है।
 
जून, 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर में वृद्धि का कारण पिछले साल के इसी माह की तुलना में मुख्य रूप से खनिज तेलों, खाद्य पदार्थों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, बुनियादी धातुओं, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, खाद्य उत्पादों आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है।
 
इस हफ्ते की शुरुआत में जारी सरकारी आंकड़ों से खुदरा महंगाई में भी थोड़ी नरमी दिखी थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून 2022 में 7.01 प्रतिशत पर आ गई थी, जबकि पिछले महीने यह 7.04 प्रतिशत थी।
 
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WPI-based inflation declines marginally to 15.18% for the month of June, 2022 Month-over-Month decrease in WPI for manufactured products but primary articles and Fuel & Power see a marginal rise Read more: - PIB India (@PIB_India) 14 July 2022
थोक महंगाई दर क्या है : थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) एक मूल्य सूचकांक है जो कुछ चुनी हुई वस्तुओं के सामूहिक औसत मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। भारत में थोक मूल्य सूचकांक को आधार मान कर महंगाई दर की गणना होती है। हालांकि थोक मूल्य और खुदरा मूल्य में काफी अंतर होने के कारण इस विधि को कुछ लोग सही नहीं मानते हैं। भारत में थोक मूल्य सूचकांक में 697 पदार्थों को शामिल किया गया है। इनमें खाद्यान्न, धातु, ईंधन, रसायन आदि हर तरह के पदार्थ शामिल हैं।
 
अब मान लीजिए 10 मार्च को खत्म हुए हफ्ते में थोक मूल्य सूचकांक 120 है और 17 मार्च को यह बढ़कर 122 हो गया। प्रतिशत में अंतर लगभग 1.6 प्रतिशत हुआ और यही महंगाई दर मानी जाती है।
 
सामानों के थोक भाव लेने और सूचकांक तैयार करने में समय लगता है, इसलिए मुद्रास्फीति की दर हमेशा दो हफ्ते पहले की होती है। भारत में हर हफ्ते थोक मूल्य सूचकांक का आकलन किया जाता है। इसलिए महंगाई दर का आकलन भी हफ्ते के दौरान कीमतों में हुए परिवर्तन दिखाता है। पहले डब्ल्यूपीआई मापने का बेस ईयर 2004-2005 था। लेकिन अप्रैल 2017 में सरकार ने इसे बदलकर 2011-12 कर दिया।
 
WPI में सामग्रियों की तीन श्रेणियां : WPI में सामग्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं- प्राइमरी आर्टिकल्स, ईंधन और उत्पादित सामग्रियां। प्राइमरी आर्टिकल्स की भी दो उप-श्रेणियां हैं। पहली खाद्य उत्पाद। दूसरी गैर खाद्य उत्पाद। खाद्य उत्पादों में अनाज, धान, गेहूं, दालें, सब्जियां, फल, दूध, अंडा, मांस और मछली जैसी चीजें शामिल हैं। गैर खाद्य उत्पाद में तेल के बीज, खनिज संसाधन और कच्चा पेट्रोलियम शामिल है। 
 
डब्ल्यूपीआई की दूसरी श्रेणी है ईंधन। इसमें पेट्रोल, डीजल और LPG की कीमतें देखी जाती हैं। तीसरी और सबसे बड़ी श्रेणी है, मैन्युफैक्चर्ड गुड्स यानी उत्पादित सामग्रियां। इनमें कपड़ा, रेडिमेट कपड़े, कैमिकल, प्लास्टिक, सीमेंट, धातु, चीनी, तंबाकू उत्पाद, वसा उत्पाद जैसे मैन्युफैक्चर्ड खाद्य पदार्थ भी शामिल हैं।
 
आम जनता पर क्या असर : थोक महंगाई दर बढ़ने का सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है। थोक में अगर किसी वस्तु के दाम बढ़ते हैं तो आम आदमी को रिटेल में भी इसके ज्यादा दाम चुकाने होते हैं। वहीं किसी वस्तु के थोक में दाम घटने पर रिटेल में भी उसकी कम कीमत देना होती है।
 

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