इंदौर के चर्चित कवि और प्राध्यापक आशुतोष दुबे मानते हैं कि उनके लेखन की सबसे आकर्षित करने वाली बात है, उनकी उद्दाम जिजीविषा। हिन्दी के कथा साहित्य में उन्होंने अपनी तरह की एक एन्द्रिकता को स्थान दिया। उसकी जड़ें उसी उत्कट जिजीविषा में हैं। 'ये लड़की', 'मित्रों मरजानी' या 'यारों के यार' देखें तो उसके किरदार इस लोक के रूप-रस-गंध को पूरी उत्कटा से जीना चाहते हैं। वास्तव में सोबती ने भी स्वयं ऐसा ही जीवन जिया।