मुंबई हमले के दोषी याकूब मेमन को फांसी

गुरुवार, 30 जुलाई 2015 (06:47 IST)
नागपुर। मुंबई बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन के फांसी के फंदे से बचने के लिए अंतिम समय में किए गए प्रयास काम नहीं आए और उच्चतम न्यायालय द्वारा तड़के अभूतपूर्व तरीके से की गयी सुनवाई के बाद उसे गुरुवार को यहां फांसी पर लटका दिया गया।
 















 
 
 
आज ही 53 साल के हुए मेमन को सुबह सात बजे नागपुर केंद्रीय कारागार में फांसी पर लटकाया गया। टाडा अदालत ने उसके मौत के फरमान पर तामील के लिए यही समय निर्धारित किया था। मौत के फरमान को उसके वकीलों की टीम ने कई बार चुनौती दी लेकिन तमाम प्रयास विफल साबित हुए। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बताया, 'उसे सुबह ठीक सात बजे फांसी दी गई।'
 
सरकारी सूत्रों ने बताया कि उसके शव को बाद में उसके भाई सुलेमान और चचेरे भाई उस्मान के सुपुर्द कर दिया गया जो कल से ही यहां शहर में ठहरे हुए थे। शव को अब अंतिम संस्कार के लिए विमान से मुंबई ले जाया गया है।
 
याकूब की फांसी को टलवाने के लिए उसके वकीलों की ओर से अंतिम समय तक पुरजोर कोशिशें की गई और यह पूरा घटनाक्रम बुधवार को शुरू होकर आज तड़के तक जारी रहा।
 
उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा फांसी पर रोक लगाने की उसकी याचिका को नामंजूर किए जाने और उसकी सुधारात्मक याचिका को शीर्ष अदालत द्वारा ठुकराए जाने में कोई कानूनी खामी नहीं पाए जाने पर मेमन ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के समक्ष नए सिरे से दया याचिका दाखिल की थी।
 
मुखर्जी ने इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह से विचार विमर्श किया, जिसमें बाद में गृह सचिव एल सी गोयल और सोलिसिटर जनरल रंजीत कुमार भी शामिल हुए। राष्ट्रपति के समक्ष इस पूरी प्रक्रिया में दो घंटों का समय लगा।
 
इससे पूर्व दिन में, राष्ट्रपति ने नियमों के अनुसार याचिका को सरकार को भेज दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सिंह और शीर्ष अधिकारियों ने इस विषय पर विचार विमर्श किया और मुखर्जी को मेमन की याचिका को नामंजूर करने का सुझाव दिया। राजनाथ सिंह खुद सरकार के फैसले से राष्ट्रपति को अवगत कराने के लिए राष्ट्रपति भवन गए।
 
महाराष्ट्र के राज्यपाल सी विद्यासागर राव द्वारा ऐसी ही याचिका को अस्वीकार किए जाने के तुरंत बाद मेमन ने राष्ट्रपति के समक्ष अपनी याचिका दी थी। समय के अभाव को देखते हुए मेमन के वकीलों ने नए सिरे से उसकी जान बचाने के प्रयास किए और फांसी पर तामील को रूकवाने के लिए त्वरित सुनवाई के लिए याचिका को लेकर प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू के आवास पर पहुंचे। उसके वकील इस आधार पर फांसी को रूकवाना चाहते थे कि मौत की सजा पाए दोषी व्यक्ति को अपनी याचिका नामंजूर किए जाने को चुनौती देने का अवसर प्रदान करने तथा अन्य कामों के लिए 14 दिन का समय दिए जाने की जरूरत है।
 
 

काफी विचार विमर्श के बाद प्रधान न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय पीठ गठित की थी जिसने कल मौत के फरमान को बरबरार रखा था और फांसी पर रोक लगाने से मना कर दिया था।
 
अदालत कक्ष संख्या 4 में तड़के 3 बजकर 20 मिनट पर शुरू हुई सुनवाई चार बजकर 50 मिनट पर पूरी हुई और पीठ के फैसले के साथ ही याकूब को मृत्युदंड निश्चित हो गया। इस मामले में आदेश जारी करने वाली न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा, 'मौत के फरमान पर रोक न्याय का मजाक होगा। याचिका खारिज की जाती है।'
 
मेमन के वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर और युग चौधरी ने कहा कि अधिकारी उसे दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने के अधिकार का उपयोग करने का अवसर दिए बिना फांसी देने पर अड़े हैं। ग्रोवर ने कहा कि मौत की सजा का सामना कर रहा दोषी उसकी दया याचिका खारिज होने के बाद विभिन्न उद्देश्यों के लिए 14 दिन की मोहलत का हकदार है।
 
मेमन की याचिका का विरोध करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने यह दलील दी कि उसकी ताजा याचिका व्यवस्था का दुरूपयोग करने के समान है। रोहतगी ने कहा कि पूरे प्रयास से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसका मकसद जेल में बने रहने और सजा को कम कराने का है। उन्होंने कहा, 'तीन न्यायाधीशों द्वारा मात्र दस घंटे पहले मौत के फरमान को बरकरार रखने के फैसले को रद्द नहीं किया जा सकता।'
 
पीठ ने रोहतगी की बात से सहमति जताई और आदेश जारी करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा 11 अप्रैल 2014 को उसकी पहली दया याचिका खारिज किए जाने के बाद पर्याप्त मौके दिए गए, जिसके बारे में उसे 26 मई 2014 को सूचित किया गया।
 
उन्होंने कहा कि याचिका नामंजूर किए जाने के बाद उस समय उसे उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जा सकती थी।
 
पीठ ने कहा, 'इसके परिणामस्वरूप , यदि हम मौत के फरमान पर रोक लगाते हैं तो यह न्याय के साथ मजाक होगा।' उसने साथ ही कहा कि हमें रिट याचिका में कोई दम नजर नहीं आता। आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ग्रोवर ने कहा कि यह एक त्रासद भूल और गलत फैसला है।
 
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट याकूब को हमलों की साजिश रचने और सह आरोपियों मूलचंद शाह तथा कंपनी मैसर्ज तिजारत इंटरनेशनल के जरिए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के लिए धन मुहैया कराने का दोषी ठहराया गया था। इस कंपनी का मालिक उसका भाई अयूब मेमन था जो अभी भी फरार है।

याकूब पर विस्फोटों के लिए वित्त व्यवस्था और हर तरह की मदद मुहैया कराने तथा कुछ सह आरोपियों को हथियारों और गोलाबारूद के उपयोग के प्रशिक्षण के लिए मुंबई से दुबई होते हुए पाकिस्तान भेजने का आरोप था। उस पर उन वाहनों को भी खरीदने का आरोप था जिनमें भीषण धमाकों के लिए आरडीएक्स लगाया गया था।
 
उच्चतम न्यायालय ने टाडा अदालत द्वारा 12 सितंबर 2006 को दिए गए दोषसिद्धि और मौत की सजा के आदेश को बरकरार रखते हुए 21 मार्च 2013 को मेमन को 1992-93 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के बाद हुए इन भीषण विस्फोटों की साजिश को आगे बढ़ाने वाला बताया। याकूब को छह अगस्त 1994 को काठमांडू से दिल्ली आने पर गिरफ्तार किया गया था।
 
कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने कहा था कि उसे गिरफ्तार किया गया जबकि याकूब का दावा था कि पश्चाताप की आग में जलने के बाद वह समर्पण करने के लिए आया था।
 
याकूब को फांसी दिए जाने से कुछ दिन पहले खुफिया एजेंसी रॉ के एक पूर्व अधिकारी बी रमन द्वारा लिखे गए लेख से इस मामले में नाटकीय मोड़ आ गया। उसकी गिरफ्तारी के समय एजेंसी में पाकिस्तान संबंधी मामलों के प्रमुख रहे रमन ने लिखा था कि केंद्रीय एजेंसियों ने मेमन को भारत लौटने को राजी किया था। लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं होती है कि याकूब ने एजेंसियों के साथ किसी प्रकार का सौदा किया था जिससे वह फांसी के फंदे से बच सकता था। 
 
याकूब के भाई एसा और भाभी रूबीना बम विस्फोट मामले की साजिश रचने, इन्हें अंजाम देने वाले आतंकवादियों के लिए धन तथा हर तरह की व्यवस्था करने के जुर्म में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। बम विस्फोटों में कथित रूप से बड़ी भूमिका निभाने वाले साजिशकर्ता अभी भी फरार हैं और समझा जाता है कि पाकिस्तान में इन लोगों को पनाह मिली हुई है। इनमें मेमन का बड़ा भाई टाइगर मेमन और अंडरवर्ल्ड डान दाउद इब्राहिम शामिल हैं।
 
इस बीच, मुंबई , विशेष रूप से माहिम में पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं जहां याकूब का परिवार रहता है। इसके अलावा कई संवेदनशील इलाकों में भी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और चार सौ से अधिक लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया गया है।
 
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'हमने कानून व्यवस्था के मद्देनजर याकूब के परिवार को शवयात्रा निकालकर कब्रिस्तान पहुंचने की अनुमति नहीं दी है और याकूब को दफनाए जाने के समय उसके परिवार के बेहद करीबी लोग ही वहां मौजूद रहेंगे।' उन्होंने कहा, 'हमने उन लोगों की निजी जानकारी पहले ही एकत्र कर ली है जो याकूब के परिवार के साथ होंगे।' (भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें