...तो केजरीवाल सरकार दे इस्तीफा : योगेंद्र यादव

रविवार, 23 अप्रैल 2017 (00:53 IST)
नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल के पूर्व सहयोगी योगेन्द्र यादव ने मुख्यमंत्री पर अहंकारी और कुर्सी का लालची होने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि यदि आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली नगर निगम के चुनाव में आधी सीटें जीतने में सफल नहीं होती है तो दिल्ली सरकार को इस्तीफा देकर दोबारा चुनाव कराने चाहिए।
                             
आप से निष्कासित होने के बाद स्वराज इंडिया का गठन करने वाले यादव ने शनिवार को केजरीवाल को एक पत्र लिखा है और उसमें कहा है कि यदि आप पार्टी दिल्ली विधानसभा में 137 (50 प्रतिशत) वार्डों पर विजय प्राप्त करने में नाकाम रहती है, तो उन्हें मुख्यमंत्री  पद से इस्तीफा देकर दोबारा जनता का विश्वास हासिल करना चाहिए। स्वराज इंडिया भी तीनों निगमों के सभी 272 वार्डों पर चुनाव लड़ रही है।
                             
पत्र में यादव ने लिखा है दो साल पहले दिल्ली ने जो ऐतिहासिक जनादेश दिया था वह किसी एक नेता या पार्टी का करिश्मा नहीं था। उसके पीछे हजारों कार्यकर्ताओं का त्याग और उनकी तपस्या थी। लेकिन इस करिश्मे का सबसे बड़ा कारण था दिल्ली की जनता का आत्मबल। जनलोकपाल आंदोलन ने दिल्ली के लाखों नागरिकों को यह भरोसा दिलाया कि वह बेचारे नहीं हैं। वह नेताओं, पार्टियों और सरकारों से ज्यादा ताकतवर हैं। 
                             
स्वराज इंडिया के प्रमुख ने लिखा है, आज मैं उस आत्मबल को डगमगाते हुए देख रहा हूं। इसलिए पिछले दो साल में पहली बार आप से संवाद कर रहा हूं और आपको रामलीला मैदान में किए  रिकॉल के वादे की याद दिला रहा हूं। निगमों में पार्टी के चुनाव प्रचार के दौरान मुझे दिल्ली के कोने-कोने में जाने का मौका मिला। राजधानी में चारों तरफ कूड़े के ढेर, गंदा पानी रूका हुआ है। बदबूदार और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हवा है।
                           
दिल्ली में पिछले दस साल से एमसीडी पर भारतीय जनता पार्टी राज्य कर रही है और इसकी पहली जिम्मेदारी है कि वह इस काम को करे, लेकिन भाजपा बड़ी बेसर्मी से चुनाव में खड़ी है। बहुत से ऐसे मतदाता हैं जिन्होंने 2015 में ऐतिहासिक बदलाव के लिए वोट दिया था, लेकिन निगम चुनाव में थक-हार के फिर भाजपा के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। मैं काफी दिनों से यह सोच रहा हूं कि निकम्मी और भ्रष्ट एमसीडी प्रशासन करने वाली भाजपा को चुनाव में खड़े होने का मौका देने के लिए कौन जिम्मेदार है? (वार्ता) 

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