लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुए जातीय संघर्ष से योगी सरकार की हो रही किरकिरी के बीच प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बार-बार शांति की अपील तथा उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी के बावजूद मामला थमता नजर नहीं आ रहा है। सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव और उसके आसपास इलाके में अभी भी तनाव बरकरार है। राज्य के गृह सचिव समेत चार वरिष्ठ अधिकारी लखनऊ से जाकर वहां डेरा डाले हुए हैं।
सहारनपुर में गत 20 अप्रैल को सांप्रदायिक दंगा हुआ था। इसके बाद 5, 9 और 23 मई को राजपूतों और दलितों में जातीय संघर्ष हुआ जिसमें दो युवकों की मृत्यु हुई और 30 से अधिक घायल हुए। गत 15 मई से करीब एक सप्ताह चले विधानमंडल के दोनों सदनों में सहारनपुर कांड जोरदार ढंग से उठा। विधानसभा में विपक्ष ने एक बार इसी मुद्दे पर सदन का बहिर्गमन भी किया।
सहारनपुर की घटनाओं को लेकर आक्रामक विपक्ष ने इसकी न्यायिक जांच की मांग उठा दी। विधानसभा में नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने कहा कि पूरी घटना की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराई जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग दलितों को उत्पीड़ित और परेशान कर रहे हैं। भाजपा जबरन दलितों को अपने पक्ष में करना चाहती है।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने कहा कि पुलिस से लोगों का विश्वास उठ गया है। राज्य सरकार विफल साबित हुई है, इसीलिए घटनाएं बार-बार हो रही हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार सहारनपुर में अमनचैन कायम करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। कुछ लोग माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा सरकार ऐसे लोगों को बेनकाब करेगी। पार्टी के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा कि ऐसे लोग भाजपा सरकार के 'सबका साथ सबका विकास' नारे को पचा नहीं पा रहे हैं। (वार्ता)