इंडोनेशिया के माउंट मेरापी के अंदर की गतिविधियों से बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है और जिस तरह से आइसलैंड के ज्वालामुखी विस्फोट से यूरोप प्रभावित हुआ था वैसा ही असर इसका भारत पर हो सकता है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के पृथ्वी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ. डी चंद्रशेखरम ने कहा कि इस विस्फोट में लावा के बहने से ज्यादा चिंता नहीं है, बल्कि उससे निकले टनों राखों के गुबार भारत को प्रभावित कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय भूतापीय संध की निदेशक मंडल के सदस्य चंद्रशेखरम ने बताया कि पहाड़ों के फटने से कैटाक्लिस्मिक विस्फोट होता है। पिछला कैटाक्लिस्मिक विस्फोट माउंट वेसुवियस में हुआ था जिसमें रोमन शहर पोम्पी और हकरुलेनियम खत्म हो गए।
इंडोनेशिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक मेरापी योग्याकार्ता शहर के उत्तर में है, जहाँ दुनिया की सबसे घनत्व वादी आबादी का वास है।
उन्होंने कहा कि मेरापी ज्वालामुखी ओब्सर्वेटी के मुताबिक, 20 अक्टूबर को ज्वालामुखी के सतह का इंफ्लेशन रेट 0.6 सेंटीमीटर प्रतिदिन था जोकि विस्फोट से पहले 24 अक्टूबर को बढ़कर 42 सेंटीमीटर प्रतिदिन हो गया। (भाषा)