वोडाफोन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं

सोमवार, 27 सितम्बर 2010 (15:38 IST)
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उच्चतन्यायालवोडाफोन को कर मामले में कोई तात्कालिक राहत नहीं मिल पाई। कंपनी ने हचिसन एस्सार सौदे के संबंध मेआयकविभानोटिअधिकासम्मठहरानवालबंबई उच्च उच्चतम न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी थी।

बंबई उच्च न्यायालय ने कंपनी पर 11 अरब डॉलर के हचिसन सौदे को भारतीय कर अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में बताया था। कर विभाग ने वर्ष 2007 में हुए वोडाफोन, एस्सार हचिसन सौदे में कंपनी से 12,000 करोड़ रुपए की कर माँग की है।

उच्चतम न्यायालय ने आज मामले की सुनवाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन से इंकार कर दिया और आयकर विभाग को नोटिस जारी कर उन्हें चार सप्ताह के भीतर वोडाफोन की कर देनदारी तय करने का आदेश दिया है।

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एस. एच. कपाडिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने आयकर विभाग को नोटिस जारी करते हुए कहा ‘अगली सुनवाई और आदेश को लंबित रखते हुए हमने आयकर विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह आज से चार सप्ताह के भीतर कर देनदारी तय करें।’

शीर्ष न्यायालय ने वोडाफोन की बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को स्थगित करने के आग्रह को मानने से भी इंकार कर दिया। वोडाफोन के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन माँगा था लेकिन पीठ ने इसे मानने से इंकार करते हुए कहा कि उन्हें कर माँग का एक हिस्सा पहले जमा कराना होगा।

‘यदि आपको उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन चाहिए तो आपको माँगी गई राशि का कुछ हिस्सा पहले जमा कराना होगा, आप क्या चाहते हैं आपको देखना है।’ बहरहाल, न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 25 अक्तूबर को तय की है और कहा है कि इस आदेश के आधार पर याचिकाकर्ता (वोडाफोन) को यह छूट दी जाती है कि वह उचित माँग के साथ न्यायालय में आए।

सरकार की तरफ से अटार्नी जनरल जी. वाहनवती न्यायालय में पेश हुए थे, उन्होंने कहा कि दूरसंचार कंपनी वोडाफोन की कर देनदारी तय करते हुए विभाग चार सप्ताह के भीतर ऑर्डर जारी कर देगा। वाहनवती ने कहा कि न्यायालय को स्थगन आदेश तभी जारी करना चाहिए जब कंपनी 50 प्रतिशत कर देनदारी का भुगतान कर देती है। (भाषा)

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