जम्मू। जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2013 के दौरान आतंकवाद संबंधी घटनाओं में काफी कमी आई लेकिन उग्रवादी सुरक्षा बलों पर काफी भारी पड़े और उन्होंने पिछले दो सालों की कुल घटनाओं के मुकाबले अधिक सुरक्षा बलों को अपना निशाना बनाया।
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इस वर्ष आतंकवादियों के हमले में 61 सुरक्षाकर्मी मारे गए जो वर्ष 2012 की घटनाओं के मुकाबले सौ फीसदी इजाफा है। वर्ष 2012 और वर्ष 2011 में कुल मिलाकर आतंकवादी घटनाओं में 47 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे।
पिछले वर्ष सुरक्षा बलों ने 119 उग्रवादियों को मार गिराया था लेकिन इस वर्ष यह संख्या कम होकर 97 ही रही। वर्ष 2011 में 84 उग्रवादी मारे गए थे। हालांकि पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां लगातार कहती रही कि वर्ष के दौरान प्रदेश में आतंकवाद संबंधी घटनाओं में करीब 30 फीसदी की कमी आयी है लेकिन इसके बावजूद आतंकवाद सुरक्षा बलों के लिए एक गंभीर चुनौती बना रहा।
सुरक्षा एजेंसियों का यह भी कहना था कि नियंत्रण रेखा के उस पार से कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ में भी कमी देखी गई। हालांकि इसके लिए प्रयास तो काफी हुए। अक्टूबर में राज्य के पुलिस प्रमुख अशोक प्रसाद ने कहा कि पिछले 23 सालों में राज्य में आतंकवादी हिंसा सबसे कम रही।
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से हिंसा में 30 फीसदी की कमी आई है और उन्होंने इसका श्रेय सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय को दिया। सुरक्षा बलों ने सुरक्षा बलों के अधिक संख्या में हताहत होने के लिए उग्रवादियों की रणनीति को जिम्मेदार ठहराया जिसमें आम जनता पर न्यूनतम और सुरक्षा मोर्चे पर अधिकतम प्रभाव पड़ा।
आतंकवादियों द्वारा किए गए एक आत्मघाती हमले से आतंकवादियों की रणनीति में बदलाव दिखा। पिछले तीन सालों में ऐसा पहली बार था कि दो उग्रवादियों ने 13 मार्च को शहर के बेमिना इलाके में सीआरपीएफ कर्मियों को निशाना बनाया और पांच सुरक्षाकर्मियों को मार डाला तथा सात को घायल कर दिया।
एक अन्य प्रमुख हमले में उग्रवादियों ने 26 अप्रैल को उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर इलाके में पुलिस के एक वाहन पर घात लगाकर हमला किया और चार सुरक्षाकर्मियों को मार गिराया।
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हालांकि सबसे घातक हमला जम्मू में सांबा. कठुआ में और श्रीनगर के हैदरपुरा में किया गया। उग्रवादियों ने हैदरपुरा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा से पूर्व आठ जवानों को मार दिया और 19 अन्य को घायल कर दिया।
26 सितंबर को हीरानगर और सांबा में सेना के शिविर तथा एक पुलिस थाने पर किए गए दो आतंकवादी हमलों में आठ सुरक्षाकर्मी और दो नागरिक मारे गए।
नियंत्रण रेखा पर उग्रवादियों के घुसपैठों के प्रयासों ने भी सुरक्षाकर्मियों की नींद हराम किए रखी। हालांकि सेना ने कहा कि विभिन्न स्थानों से घाटी में उग्रवादियों की घुसपैठ कराने की पाकिस्तान में बैठे उग्रवादियों के आकाओं की बदली नीति के कारण इस प्रकार के प्रयासों में वृद्धि हुई है।
सेना ने कश्मीर के केरन सेक्टर में शलालाबट्टी में घुसपैठ के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। ऐसी रिपोर्टें थीं कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी पड़ोसी देश की नियमित सेना के सैनिकों की मदद से कुछ भारतीय गांवों पर कब्जा जमा लिया है। इसके बाद यह अभियान चलाया गया। (भाषा)