Durga puja Vidhi In Navratri : हिंदू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का पहला माह चैत्र माह होता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होती है। इस बार 9 अप्रैल 2023 से यह नवरात्रि प्रारंभ होकर 17 अप्रैल को समाप्त होगी। चैत्र नवरात्र में नौदुर्गा पूजा का महत्व है। आओ जानते हैं माता पूजा का शास्त्रोक्त नियम और संपूर्ण विधि।
नवरात्रि दुर्गा पूजा सामग्री लिस्ट इन हिंदी : Navratri Puja Samagri List:
माता की तस्वीर या मूर्ति, कलश, घट, गंगाजल, सिक्का, गेहूं या अक्षत, मौली, सिंदूर रोली, अक्षत, कुमकुम, आम के पत्ते का पल्लव, कलावा, गेहूं या जौ, पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, सिंदूर, लाल वस्त्र, जटा वाला नारियल, इलायची, फल या मिठाई, हनव कुंड, अगरबत्ती, चौकी के लिए लाल कपड़ा, दुर्गासप्तशती किताब, साफ चावल, अखंड ज्योति का दीया, माचिस, मिट्टी का बर्तन, शुद्ध मिट्टी, मिट्टी पर रखने के लिए एक साफ कपड़ा, श्रृंगार का सामान, हवन के लिए आम की लकड़ी, हवन सामग्री, दीपक, घी, तेल, फूल, फूलों की माला, लौंग, कपूर, बताशे, पान, सुपारी, कलावा, तांबे का कलश, मेवे आदि।
16 श्रृंगार का सामान में मेहंदी, बिंदी, लाल चूड़ी, सिंदूर, लाल चुनरी, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, आलता, बिछिया, दर्पण, कंघी, महावर, काजल, चोटी, पायल, इत्र, लाल चुनरी, पायल, कान की बाली, नाक की नथ, आदि सामान।
Chaitra Navratri 2024
दुर्गा माता की पूजा विधि:
प्रतिपदा को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें।
घर के ही किसी पवित्र स्थान पर पूजा स्थल को साफ करें।
वहां पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बनाएं। वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं। वेदी नहीं तो मिट्टी के घट में बोएं।
वेदी पर या समीप के ही पवित्र स्थान पर पृथ्वी का पूजन कर वहां सोने, चांदी या तांबे का कलश स्थापित करें।
इसके बाद कलश में आम के हरे पत्ते, दूर्वा, पंचामृत डालकर उसके मुंह पर सूत्र बाधें। कलश स्थापना के बाद गणेश पूजन करें।
इसके बाद वेदी के किनारे पर चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर देवी की किसी धातु, पाषाण, मिट्टी व चित्रमय मूर्ति विधि-विधान से विराजमान करें।
चित्र या मूर्ति को जल से पवित्र करने के बाद 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।