मानसिक संयम:
1.इन नौ दिनों में स्त्रिसंग शयन वर्जित माना गया है।
2.इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार से क्रोध ना करें।
3.इन नौ दिनों में बुरा देखा, सुनना और कहना छोड़ दें।
4.इन नौ दिनों में पवित्रता का ध्यान रखें।
उपवास कई प्रकार के होते हैं। 1.प्रात: उपवास, 2.अद्धोपवास, 3.एकाहारोपवास, 4.रसोपवास, 5.फलोपवास, 6.दुग्धोपवास, 7.तक्रोपवास, 8.पूर्णोपवास, 9.साप्ताहिक उपवास, 10.लघु उपवास, 11.कठोर उपवास, 12.टूटे उपवास, 13.दीर्घ उपवास, 14.पाक्षिक व्रत 15.त्रैमासिक व्रत 16.छह मासिक व्रत और 17.वार्षिक व्रत।
1.नवरात्रि के दौरान रसोपवास, फलोपवास, दुग्धोपवास, लघु उपवास, अद्धोपवास और पूर्णोपवास किया जाता है। जिसकी जैसी क्षमता होती है वह वैसा उपवास करता है।
4.बहुत से लोग अधोपवास में एक समय भोजन और एक समय साबूदाने की खिचड़ी खा लेते हैं। कुछ लोग दोनों ही समय भरपेट साबूदाने की खिचड़ी या राजगिरे के आटे की रोटी और भींडी की सब्जी खा लेते हैं। ऐसा करना किसी भी तरह से व्रत और उपवास के अंतर्ग नहीं आता है। उपवास वास का अर्थ होता है एक समय या दोनों समय भूखे रहना। लेकिन लोगों के अपनी सुविधानुसार रास्ते निकाल लिए हैं जो कि अनुचित है।