सभी रोगों की नाशक है मां कालरात्रि
नवदुर्गा के नौ रूप औषधियों के रूप में भी कार्य करते हैं। नवरात्रि इसीलिए सेहत नवरात्रि के रूप में भी जानी जाती है। आइए जानते हैं नौ दुर्गा की सातवीं देवी कालरात्रि के औषधीय स्वरूप के बारे में।
सप्तम कालरात्रि (नागदौन) - दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि है। जिसे महायोगिनी, महायोगीश्वरी कहा गया है। यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक, सर्वत्र विजय दिलाने वाली, मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है। इस कालरात्रि की आराधना प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए।
नागदौन का पौधा ग्वारपाठे के समान होता हैं। ग्वारपाठे के पत्ते दिखने में चिकने, मोटे व दोनों धारों में कांटेयुक्त होता है, तो नागदौन के पत्ते आकार में पतले, सूखे और तलवार के जैसे दोनों ओर से धार वाले होने के साथ-साथ बीच में से मुड़े हुए होते हैं।