माता दुर्गा के 9 रूपों का उल्लेख श्री दुर्गा-सप्तशती के कवच में है जिनकी साधना करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कई साधक अलग-अलग तिथियों की दुर्गा साधना करते हैं, जैसे प्रतिपदा से नवमी तक क्रमश:-
(1) 18 मार्च
माता शैलपुत्री : प्रतिपदा के दिन इनका पूजन-जप किया जाता है। मूलाधार में ध्यान कर इनके मंत्र को जपते हैं। धन-धान्य-ऐश्वर्य, सौभाग्य-आरोग्य तथा मोक्ष के देने वाली माता मानी गई हैं।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।'
(2) 19 मार्च
माता ब्रह्मचारिणी : संयम, तप, वैराग्य तथा विजय प्राप्ति की दायिका हैं।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:
(3) 20 मार्च
माता चन्द्रघंटा : कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्हें भजा जाता है।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।'
(4) 21 मार्च
माता कूष्मांडा : रोग, दोष, शोक की निवृत्ति तथा यश, बल व आयु की दात्री मानी गई हैं।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।'
(5) 22 मार्च
माता स्कंदमाता : सुख-शांति व मोक्षदायिनी हैं।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।'
(6) 23 मार्च
माता कात्यायनी : भय, रोग, शोक-संतापों से मुक्ति तथा मोक्ष की दात्री हैं।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।'
(7) 24 मार्च
माता कालरात्रि : ललाट में ध्यान किया जाता है। शत्रुओं का नाश, कृत्या बाधा दूर कर साधक को सुख-शांति प्रदान कर मोक्ष देती हैं।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।'
(8) 25 मार्च
माता महागौरी : मस्तिष्क में ध्यान कर इनको जपा जाता है। इनकी साधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। असंभव से असंभव कार्य पूर्ण होते हैं।
मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।'
(9) 26 मार्च
माता सिद्धिदात्री : मध्य कपाल में इनका ध्यान किया जाता है। सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं।