1. उपवास : उपवास या व्रत रखने का अर्थ है अनाहार रहना परंतु कई लोग सुबह और शाम को साबूदाने की खिचड़ी, फलाहार या राजगिरे की रोटी और भिंडी की सब्जी खूब ठूसकर खा लेते हैं। ऐसे में सेहत को क्या लाभ मिलेगा। इसलिए उचित तरीके से ही उपवास करें। एक समय ही भोजन करें।
2. व्रत का पालन : कई लोग नवरात्रि में व्रत रखते हैं। कुछ पूर्णव्रत रखते हैं तो कुछ एक समय भोजन करते हैं। लगातर नौ दिनों तक व्रत रखने से भी शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकलने लगते हैं। यह सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है। व्रत रखने से शरीर के अंदर से कोलेस्ट्राल की मात्रा कम होती है, जिससे आपकी बॉडी के साथ ही दिल और बाकी अंगों की फिटनेस बढ़ती है।
3. उत्तम आहार : कई लोग इस दौरान फलाहारी रहते हैं तो कुछ लोग खिचड़ी खाकर नौ दिन उपवास करते हैं। फलाहार और पौष्टिक पदार्थों का सेवन पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, जिसे आपको कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं से निजात मिलती है। फलों में कई तरह के विटामिन, प्रोटीन, मिनरल आदि होते हैं जो कि शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं।
4. व्रत प्रतिबंध : व्रत रखने के दौरान यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार का नशा करता है कि वह इस दौरान नशा नहीं करता है। व्रत में आप शराब, सिगरेट एवं अन्य धूम्रपान संबधी चीजों का सेवन नहीं करते हैं जिससे बिगड़ती सेहत पर कंट्रोल होता है और नुकसान से भी बचते हैं।
5. मानसिक स्वास्थ : इन दिनों व्यक्ति पूजा पाठ, आरती आदि धार्मिक कार्य करता है। इससे उसे मानसिक शांति मिलती है और तनाव दूर होता है। सेहत के लिए मानसिक और आत्मिक शांति जरूरी होती है। इससे अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है।
6. सेहत को बनाते ये पदार्थ : व्रत रखने के दौरान व्यक्ति नमक, खटाई, अधिक तेल, लहसुन, प्याज, शक्कर, चाय, कॉफी, अधिक मीठी वस्तुओं का सेवन न करते हुए सेंधा नमक, नींबू पानी, नारियल पानी, अनानास जूस, सिंघाड़े का आटा, कद्दू का आटा, ड्राइ फ्रूट्स, नीम, शहद, श्रीखंड, गुड़, नीम के कोमल पत्ते, काली मिर्च, हींग, जीरा मिश्री और अजवाइन का उपयोग करता है जो कि सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं।
7. मन, वचन और कर्म से एक रहें : उपवास करते वक्त मन में जो विचार चल रहे हैं उस पर ध्यान देना जरूरी है। मन में बुरे-बुरे विचार आ रहे हैं या आप बुरा सोच रहे हैं तो कैसे मिलेगा लाभ? इसी तरह आप किसी से किसी भी प्रकार की वार्तालाप कर रहे हैं तो उसमें शब्दों के चयन पर ध्यान देना जरूरी है। असत्य और अपशब्द बोल रहे हैं तो कैसे मिलेगा लाभ? इसी तरह आप कुछ भी कर रहे हैं तो उस कर्म पर ध्यान दें। खूब सोना, सहवास करना या क्रोध करना उपवास में वर्जित होता है। उपरोक्त सभी बातें आपकी सेहत पर असर डालती हैं।
8. उपवास के प्रकार समझें : उपवास के कई प्रकार होते हैं उन्हें अच्छे से जान लें। व्रत या उपवास में एक समय भोजन करने को एकाशना या अद्धोपवास कहते हैं। ऐसा नहीं कर सकते कि आप सुबह फलाहार ले लें और फिर शाम को भोजन कर लें। इसी तरह पूरे समय व्रत करने को पूर्णोपवास कहते हैं। पूर्णोपवास के दौरान जल ही ग्रहण किया जाता है।
कुछ दिनों तक सिर्फ रसदार फलों या भाजी आदि पर रहना फलोपवास कहलाता है। अगर फल बिलकुल ही अनुकूल न पड़ते हो तो सिर्फ पकी हुई साग-सब्जियां खानी चाहिए। नवरात्रि में अक्सर ये उपवास किया जाता है, लेकिन साबूदाने के प्रचलन के चलते लोग दोनों समय खूब डटकर साबूदाने की खिचड़ी खाकर मस्त रहते हैं। उसमें भी दही मिला लेते हैं। ऐसे में तो फिर व्रत या उपवास का कोई मतलब नहीं। व्रत या उपवास का अर्थ ही यही है कि आप भोजन को त्याग दें। भोजन में भी अनाज को त्यागना महत्वपूर्ण होता है।
उपवासी मनुष्य अपने सेहत को दुरुस्त करने के लिए तब तक उपवास करता है जब तक की उसका पेट पूर्णत: अंदर और नरम नहीं हो जाता है। यही शरीर को स्वस्थ करने की कारगर तकनीक है। भोजन तो शरीर को जरूरी ही चाहिए लेकिन कौन सा भोजन आप शरीर को दे रहे हैं यह भी तय करना जरूरी है। उपवासी मनुष्य प्रोटिन के जलने से पहले ही आपको उपवास तोड़कर पहले ज्यूस फिर, फल और बाद में नियमित किए जाने वाले भोजन की शुरुआत करना चाहिए। हमें उतना ही भोजन करना चाहिए जितना की हमारे शरीर को उसकी जरूरत है। हां, भोजन में आयरन, कैल्शियम, मैग्निेशियम, पोटेशियम और शरीर को जरूरी अन्य प्रोटिन, खनीज लवणों का ध्यान रखना चाहिए।