Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में माता कालिका की उपासना करें या नहीं

WD Feature Desk

मंगलवार, 23 सितम्बर 2025 (15:23 IST)
Shardiya navratri 2025: सामान्यत, शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। ये नौ रूप हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। इन नौ में से, माँ कालिका का एक रूप माँ कालरात्रि है, जिनकी पूजा सातवें दिन की जाती है। इसलिए, इस दृष्टिकोण से, शारदीय नवरात्रि में माँ कालिका की उपासना न केवल की जाती है, बल्कि यह नवदुर्गा पूजा का एक अभिन्न अंग है।
 
कालिका मंदिर: भारत देश में कालिका माता के कई प्रतिद्ध मंदिर हैं जहां पर शारदीय नवरात्रि पर माता कालिका की धूमधाम से पूजा होती हैं और यहां पर आने वाले भक्तों की संख्या लाखों में होती है। जैसे कोलकाता में कालीघाट का प्रसिद्ध दक्षिणेश्वर काली मंदिर, मध्यप्रदेश में मय्ययर वाली शारदा मैया का मंदिर, उज्जैन में गढ़कालिका का मंदिर, रतलाम में श्री कालिका माता मंदिर,ओडिसा में भुवनेश्वर के बैताला देउला, गुजरात में पावागढ़ वाली कालिका का मंदिर प्रसिद्ध और हरियाणा के सोनीपत में प्राचीन माँ काली मंदिर है।
 
कुछ अन्य दृष्टिकोण:-
तांत्रिक परंपरा: कुछ तांत्रिक परंपराओं और साधनाओं में, माँ काली की पूजा विशेष रूप से की जाती है। वे उन्हें दस महाविद्याओं में से एक मानते हैं और उनकी उपासना से सिद्धि प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। ऐसे साधक नवरात्रि के दौरान भी माँ काली की विशेष पूजा करते हैं, चाहे वह शारदीय नवरात्रि हो या चैत्र नवरात्रि।
 
बंगाल की परंपरा: बंगाल में शारदीय नवरात्रि के दौरान माँ काली की पूजा का विशेष महत्व है। दुर्गा पूजा के बाद, विजयादशमी के अगले दिन काली पूजा (श्यामा पूजा) मनाई जाती है। यह भी माना जाता है कि माँ काली की पूजा दुर्गा पूजा के साथ ही होती है, क्योंकि वे एक ही शक्ति के रूप हैं।
 
संक्षेप में, आप शारदीय नवरात्रि में मां कालिका की उपासना कर सकते हैं। यह मां कालरात्रि के रूप में नवदुर्गा पूजा का हिस्सा है। यदि आप विशेष रूप से माँ काली की ही पूजा करना चाहते हैं, तो यह आपकी व्यक्तिगत आस्था और परंपरा पर निर्भर करता है, और यह आध्यात्मिक रूप से पूरी तरह मान्य है। अगर आपकी परंपरा में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान है, तो आप सातवें दिन मां कालरात्रि के रूप में उनकी उपासना कर सकते हैं।

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