भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की राह आसान करने वाला बयान देते हुए एक वरिष्ठ नेता ने साफ किया है कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी तीसरे मोर्चे को समर्थन देने की बजाय विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।
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'हिंदुस्तान टाइम्स' में छपी खबर के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने बताया कि पहले भी ऐसे गठबंधनों की सरकार बनी है जो सफल नहीं हो सकी। ज्यादातर सरकारों पर अस्थिरता का खतरा मंडराता रहता है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद समेत कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने दावा किया था कि मोदी को सत्ता से दूर रखने के लिए तीसरे मोर्चे कांग्रेस तीसरे मोर्चे को समर्थन दे सकती है।
सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी ने पार्टी के अधिकारियों को जोर देकर कहा है कि चुनाव के बाद कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव किए जाएंगे। राहुल गांधी की प्राथमिकता उन राज्यों में संगठन को मजबूत करना है जहां कांग्रेस क्षेत्रिय दलों के आगे अपना आधार खो चुकी है।
एक अन्य नेता ने कहा कि आम चुनाव में 9 में से 7 चरणों के लिए मतदान हो चुका है और अब मात्र दो चरण शेष हैं। पार्टी के रणनीतिकारों ने चुनाव बाद के विकल्पों पर माथापच्ची शुरू कर दी है। अब सब कुछ सीटों की संख्या पर निर्भर करेगा। हालांकि कांग्रेस नेता पहले ही मान चुके हैं कि पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा।
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उत्तर भारत में भले ही मोदी की लहर चल रही हो पर दक्षिण भारत में इसका असर न के बराबर दिखाई दे रहा है। कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार बिहार में मोदी की लहर पर लालू की लहर भारी पड़ती दिखाई दे रही है।
इस स्थिति में अगर कांग्रेस को बहुमत नहीं मिलता है और वह तीसरे मोर्चे को समर्थन देने से इनकार कर देती है तो इसका सीधा फायदा नरेन्द्र मोदी और भाजपा को मिलेगा। वह नए दलों से गठबंधन के सहारे आसानी से सत्ता में आ जाएंगे।