साल 2008-09 का बहुप्रतीक्षित आम बजट जहाँ मूल रूप से कृषि, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मूलभूत क्षेत्रों पर केंद्रित रहा, वहीं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) आधारित सेवाओं में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए आईटी विभाग के लिए 1680 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम का मानना है कि सरकार की दूरदर्शी नीति से सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसलिए पिछले बजट की अपेक्षा इस बजट में आवंटित धनराशि 1500 करोड़ रुपए से बढ़कर 1680 करोड़ रुपए होनी चाहिए।
इस बजट के तहत राज्य आँकड़ा केन्द्रों के लिए एक नई योजना को भी मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि सामान्य सेवा केन्द्रों के लिए 75 करोड़ रुपए, स्वान के लिए 450 करोड़ रुपए और राज्यव्यापी केन्द्रों के लिए 275 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है।
बजट पर भारत के सबसे बड़े बहुभाषी इंटरनेट पोर्टल वेबदुनिया डॉट कॉम के अध्यक्ष और सीओओ पंकज जैन बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हालाँकि इंटरनेट आधारित एक लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) और स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क्स (स्वान) आईटी के लाभ को जनसामान्य तक पहुँचाने में एक बड़ी भूमिका निभाएँगे लेकिन एक अरब जनसंख्या वाले देश में तकनीक रहित लोगों के लिए यह संख्या भी नगण्य होगी। इसकी पहुँच बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचाने के लिए इस तरह के प्रयासों में पाँच गुना बढ़ोतरी करनी होगी।
वहीं दूसरी ओर साइबरमीडिया के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने बताया कि इस बार भारत को पूर्णतः शैक्षिक राष्ट्र के प्रयास पर अमल करते हुए नए आईआईटी संसेथानों को खोलने, छात्रवृत्ति कार्यक्रमों को बढ़ावा देने, रिसर्च एंड डेवलपमेंट व विश्वविद्यालयों को जोड़ने वाले नेशनल नॉलेज नेटवर्क जैसे प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं।
आईटी इंटेलिजेंस और एडवाइजरी फर्म 'आईडीसी इंडिया' के कंट्री मैनेजर कपिलदेव सिंह ने शैक्षिक क्षेत्र में बजट की देन की सराहना करते हुए माना कि विकासशील भारतीय अर्थव्यवस्था में आईटी क्षेत्र के योगदान को देखते हुए पैकेट सॉफ्टवेयर पर एक्साइज व सेवा कर बढ़ाना आवश्यक नहीं था।