गुड़गाँव में 'किडनी किंग' के नाम से कुख्यात डॉक्टर अमित राउत को गुरुवार को नेपाल में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी बिहार से लगी रक्सोल सीमा के पास सोहारा नाम के रिजॉर्ट से हुई जहाँ वह ठहरा हुआ था। काठमांडू से यह 'होटल वाइल्डलाइफ' नामक रिजॉर्ट 160 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
'होटल वाइल्डलाइफ' में डॉक्टर अमित अपने नेपाली साथी मनीष के साथ ठहरा हुआ था। समाचार पत्रों में प्रकाशित डॉ. अमित की तस्वीर के आधार पर चितवन पुलिस कमरा नंबर 6 में पहुँची और वहाँ से इस किडनी किंग को गिरफ्तार कर लिया गया।
काठमांडू के गृहमंत्री ने भी इस बात की आधिकारिक पुष्टि की है कि चितवन पुलिस ने जिस शख्स को गिरफ्तार किया है वह व्यक्ति किडनी सरगना डॉ. अमित ही है, जिसके लिए इंटरपोल पर 'रेड कॉर्नर' नोटिस जारी हुआ है। नेपाल के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी डॉ. अमित की गिरफ्तारी के समाचार प्रसारित किए हैं।
नेपाली मीडिया के अनुसार यहाँ की पुलिस ने भारत के मोस्ट वॉन्टेड 'किडनी किंग' डॉक्टर अमित कुमार के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। काठमांडू मेट्रोपोलिटन पुलिस के क्राइम ब्रांच के एस.एस.पी. उपेन्द्र कान्त आर्य ने कहा कि हम उसके जल्दी ही गिरफ्तार करने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यह गिरफ्तारी इतनी जल्दी होगी, इसकी कल्पना नहीं थी।
उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. अमित काठमांडू की जिन होटलों में रहा, उनका भी पता लगा लिया गया था। पुलिस को उसके पासपोर्ट का नंबर होटल के रजिस्टर में मिला। यह भी पता चला है कि वह तीन स्थानीय फोन नंबरों का उपयोग कर रहा था। इन कॉल्स के जरिये हम उस तक पहुँच सके।
सनद रहे कि डॉ. अमित अवैध रूप से गुर्दा प्रत्यारोपित करने के एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का सरगना माना जाता था। उस पर करीब 500 लोगों की किडनी जबरदस्ती, पैसे के बल पर या धोखे से निकालने का आरोप है।
शातिर दिमाग डॉ. अमित ने कई साल पहले ही अपने परिवार को कनाडा में बसा दिया था तथा वह वहाँ अपने पड़ोसियों से अकसर कहता था कि वह भारत से अपना कारोबार समेट रहा है।
इस बात की पूरी संभावना थी कि डॉ. अमित नेपाल में रहकर अपने परिवार से मिलने के तरीकों पर विचार कर रहा था या फिर मामला ठंडा पड़ने तक अंडरग्राउंड रहना चाहता था, लेकिन इसी बीच नेपाल पुलिस ने उसे धरदबोचा।
यह भी एक विचित्र संयोग है कि कुछ ही सप्ताह पूर्व पुलिस ने नेपाल के एक 'किडनी गिरोह' का पर्दाफाश कर 12 लोगों को गिरफ्तार किया था। नेपाल पुलिस इस बात की भी छानबीन कर रही है कि गिरोह के सरगना दीपक लामा की लिंक कहीं डॉ. अमित के साथ तो नहीं है? कहीं दीपक किडनी दानदाताओं को भारत विशेष रूप से चेन्नई तो नहीं भेजता था?
एक तथ्य यह भी सामने आया है कि डॉ. अमित नेपाल में एक बड़ा होटल खोलना चाहता था, ताकि विदेश से आने वाले (किडनी प्रत्यारोपित रोगी) यहाँ ठहर सकें और वह अपना किडनी का अवैध व्यापार सुचारु ढंग से संचालित कर सके। इसके लिए उसने 'बद्रीनाथ गेस्ट हाउस' के मालिक रामदेव पांडेय से भी बातचीत कर ली थी।
पांडेय के अनुसार कुछ समय पहले मेरे पास एक आदमी आया था, जिसने अपना नाम यशपाल शर्मा बताया था। यह आदमी डॉ. अमित ही था जिसने अपना नाम बदल लिया था। उसने मुझे बताया था कि मेरा दिल्ली और गुड़गाँव में अस्पताल है और मैं नेपाल में भी अस्पताल खोलना चाहता हूँ। चूँकि मुझे आपके गेस्ट हाउस का नाम काफी पसंद आया है, इसलिए मैं इसे खरीदना चाहता हूँ। इसके बाद हमारी मुलाकात नहीं हुई।
किडनी कांड के बाद नेपाल पहुँचा डॉ. अमित : गुड़गाँव में 24 जनवरी को किडनी कांड का पर्दाफाश होने के बाद डॉ. अमित को पुलिस तलाश कर रही थी, लेकिन वह तो नेपाल पहुँच चुका था। नेपाल में उसने कई विदेशियों को गुर्दा प्रत्यारोपित करने के लिए अलग-अलग अस्पतालों में समय दे रखा था। उसे 26 जनवरी को भी गुर्दा प्रत्यारोपित करना था, लेकिन किडनी कांड के फंडाफोड़ ने उसके तमाम मंसूबों पर पानी फेर दिया।
फाइव स्टार में रहा किडनी किंग : जानकारी मिली है कि नेपाल पहुँचने के बाद उसे फाइव स्टार होटल रेडिसन की एक पार्टी में डांस करते हुए देखा गया। यही नहीं, उसने वहाँ मौजूद एक व्यक्ति को मिठाई खाने का न्योता भी दिया, लेकिन यह व्यक्ति इस शातिर को पहचान चुका था। पकड़े जाने का अंदेशा होते ही डॉ. अमित कुमार वहाँ से भाग निकला। यह घटना 28 जनवरी की है।
नेपाल पुलिस यह तो समझ ही चुकी थी कि किडनी किंग नेपाल में ही छिपता फिर रहा है। यही कारण है कि पुलिस ने अपना जाल और कड़ा कर दिया और अंतत: गुरुवार की सुबह उसे गिरफ्तार कर लिया गया। अब जबकि 'किडनी किंग' डॉ. अमित पकड़ा जा चुका है, लिहाजा आने वाले दिनों में कई सनसनीखेज रहस्यों पर से परतें हटेंगी।