देख मानव मन मस्तिष्क बूढ़े हो चले अवस्था उनकी चरमराए सदा लगाता तू इन्हें सोच में दया न इन पर आए। शरीर तो बूढ़ा होता दिखता पर मन मस्तिष्क की अवस्था का ध्यान तुझे न आए।
जब लादेगा अनगिनत चिंताएं रोगी होंगे तब ये तब तू घबराए।
मनरूपी लगाम को खींचेगा यदि तेज इच्छाओं का महल न कहीं ढह जाए यात्री आत्मा कहीं शरीररूपी रथ से उतर न जल्दी जाए।
बुद्धि सारथी है शरीर रथ की काम उसका सदा तू बढ़ाए अध्ययन-चिंतन में लग तू सदा क्रंदन उनका न सुन पाए।