बादल लुप्त, नील शुद्धता हुई दृष्टिगोचर।
गहराइयों से नभ की चले पक्षी झुंड
प्रकृति के किसी कोने में दुबकी लजाती
नवेली-मुस्कराती इठलाती बसंत
स्वागत की प्रतीक्षा में क्षण-क्षण व्याकुल।
आओ बसंत बहार का स्वागत कर लें
खिल उठेंगे हजारों गुलाब बगिया में
हरियाली छाएगी चारों दिशाओं में
रंग-बिरंगी तितलियां मंडराएंगी सब ओर।