किशोर कुमार कावुरू को शुक्रवार सुबह गिरफ्तार कर अमेरिकी मजिस्ट्रेट न्यायाधीश सुसन वान केउलेन के समक्ष पेश गिया गया। बाद में आरोपी को मुचलके पर छोड़ दिया गया। कावुरू पर वीजा धोखाधड़ी के 10 आरोप तथा मेल धोखाधड़ी के भी इतने ही आरोप लगाए गए हैं। यह मामला उसकी कंसल्टिंग कंपनी के उपभोक्ताओं के लिए विदेशी कामगारों का एक समूह तैयार रखने की योजना से जुड़ा हुआ है।
मामले के अनुसार कावुरू 2007 से चार कन्सल्टिंग कंपनियों का मालिक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी था। उस पर श्रम मंत्रालय तथा गृह सुरक्षा मंत्रालय दोनों के पास फर्जी दस्तावेज जमा कराने के आरोप हैं, जिनमें विदेशी कर्मचारियों के लिए फर्जी कार्य परियोजनाओं के ब्योरों का जिक्र था।
संघीय अभियोजकों ने बताया कि चूंकि इनमें से अधिकतर आवेदन मंजूर हो जाते थे, इसलिए भारतीय अमेरिकी के पास बेरोजगार एच-1बी लाभार्थियों की अच्छी तादाद थी, जो कानूनी कार्य परियोजनाओं के लिए तत्काल उपलब्ध रहते थे। इससे उसे वीजा आवेदन की लंबी प्रक्रियाओं से गुजरने वाली अन्य स्टाफ कंपनियों के मुकाबले लाभ मिलता था।
न्याय मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि योजना के तहत कावुरू को भावी कर्मचारियों की जरूरत थी, जो वीजा आवेदनों के तैयार और जमा होने से पहले हजारों डॉलर नकद अदा कर सकें। इसी के साथ उसे ऐसे कर्मचारियों की भी आवश्यकता होती थी, जिन्हें बिना भुगतान के इंतजार कराया जा सके। कई बार तो उन्हें महीनों तक इंतजार करना पड़ता है।
अभियोजकों ने कहा कि अपनी कन्सल्टिंग कंपनियों के जरिए कावुरू ने एच-1बी वीजा सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिए कम से कम 43 आवेदन दिए, जबकि लाभ उठाने वाली कंपनी के पास सॉफ्टवेयर इंजीनियर का कोई पद ही नहीं था। आरोपी को वीजा धोखाधड़ी के प्रत्येक आरोप पर 10 साल की कैद और 250,000 डॉलर का अधिकतम जुर्माना तथ मेल धोखाधड़ी के प्रत्येक जुर्म के लिए 20 साल तक की कैद हो सकती है।