सम्मेलन के संचालक अशोक ओझा ने कहा कि- ‘सम्मेलन में भाग लेने वाले लोग व्यक्तिगत एवं संस्थागत तौर पर की जाने वाली साझेदारियों और नेतृत्व और क्षमता एवं अवसंरचना निर्माण कौशल आदि के साथ-साथ सामग्री चयन एवं विकास के लिए वित्तीय मदद, शिक्षकों के पेशेवर विकास और स्वयंसेवी प्रबंधन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम ‘उच्च शिक्षा में हिन्दी’, ‘उद्यम और वाणिज्य में हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ावा’,
ओझा ने कहा कि सम्मेलन की विषयवस्तु भाषाई शिक्षा (सरकारी एवं निजी), सरकार एवं औद्योगिक समुदायों द्वारा भारत के भीतर और बाहर हिन्दी की गुणवत्ता के विस्तार एवं विकास के लिए समन्वित प्रयासों की बढ़ती जरूरतों को दर्शाती है।
उन्होंने आगे कहा कि यह सम्मेलन सामुदायिक सदस्यों और नेताओं, भाषा विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शिक्षा प्रबंधकों और अमेरिका, कनाडा, दक्षिणी अमेरिका एवं त्रिनिदाद एंड टोबेगो जैसे कैरीबियाई देशों के साथ भारत के विशेषज्ञों को एक साझा मंच प्रदान करेगा, जहां वे एकसाथ मिलकर अपने विचारों एवं शोधों को साझा कर सकते हैं, विभिन्न अवसरों को जांच सकते हैं, भविष्य के लिए योजनाएं बना सकते हैं, चुनौतियों की पहचान कर सकते हैं और उत्तरी अमेरिकी एवं कैरीबियाई क्षेत्र में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए उपाय ढूंढ़ सकते हैं।